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दिल्ली में वायु प्रदूषण का असर यौन क्रियाओं पर भी : विशेषज्ञ

नई दिल्ली, 6 नवंबर | दिल्ली की खराब हवा की गुणवत्ता दिल्ली के स्वस्थ निवासियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह उनकी यौन रुचि और क्रियाओं को भी प्रभावित कर सकता है। प्रजनन विशेषज्ञों ने रविवार को यह बात कही। विशेषज्ञों के अनुसार, वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों से यौन क्रियाओं में 30 प्रतिशत कमी आ सकती है। दिवाली के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बीते 17 सालों में सबसे खराब हवा की गुणवत्ता है।

दिल्ली के इंदिरा आईवीएफ चिकित्सालय में प्रजनन विशेषज्ञ, सागरिका अग्रवाल ने कहा, “वायु में बहुत सारे भारी तत्व हैं, जो सीधे तौर पर शरीर के हार्मोन को प्रभावित करते हैं। भारत में 15 प्रतिशत पुरुषों की आबादी बांझ है। यह दर महिलाओं की तुलना में ज्यादा है।”

अग्रवाल ने कहा, “पर्टिकुलेट मैटर अपने साथ पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन लिए होते हैं। इसमें सीसा, कैडमियम और पारा होते हैं, जो हार्मोन के संतुलन को प्रभावित करते हैं और शुक्राणुओं के लिए नुकसानदायक होते हैं।”

अग्रवाल के अनुसार, टेस्टोस्टोरोन या एस्ट्रोजन स्तर में कमी संसर्ग की इच्छा में कमी ला सकती है। इस तरह यह यौन जीवन में बाधा पैदा कर सकती है। लेकिन प्रजनन में इस बदलाव से बचने के लिए बाहर जाते समय बहुस्तरीय फिल्टर मास्क का प्रयोग करें।

विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में पर्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5) में भारी वृद्धि देखी गई है। यह मनुष्य के बाल की तुलना में 30 गुना महीन होता है।

उन्होंने कहा कि दिवाली के बाद नवंबर में 500यूजी/एम3 मापक पैमाने पर एक रिकार्ड के साथ पीएम 2.5 शुरू हुआ और यह बाद के दिनों में 600 और 700 यूजी/एम3 रहा। यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानदंड 250 यूजी/एम3 से कही ज्यादा है।

शहर के एक आईवीएफ विशेषज्ञ, अरविंद वैद ने कहा कि प्रदूषण में सांस लेने से रक्त में ज्यादा मात्रा में मुक्त कण एकत्रित हो जाते हैं। यह एक प्रजनन सक्षम पुरुष में भी शुक्राणुओं की गुणवत्ता घटा सकते हैं।–आईएएनएस