देश में राजद्रोह कानून के स्थान पर देशद्रोह कानून लाया गया है। इसके आलावा मॉब लिंचिंग को एक घृणित अपराध माना गया है और इस अपराध के लिए मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है। भारत के ध्वज, सीमाओं औऱ संसाधनों के साथ अगर कोई खिलवाड़ करेगा तो उसे निश्चित रूप से जेल जाना होगा । अब किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को दस्तावेज माना जाएगा।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर। लोक सभा ने तीन विधेयकों भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 को चर्चा के बाद पारित कर दिया ।
नया विधेयक सामुदायिक सेवा को सजा के रूप में परिभाषित करता है। भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 (सीआरपीसी) की जगह लेगा। सीआरपीसी गिरफ्तारी, अभियोजन और जमानत के लिए है। भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 (बीएसबी2) भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 484 धाराओं वाले CrPC को रिप्लेस करने वाली भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में अब 531 धाराएं रहेंगी, 177 धाराओं को बदल दिया गया है, 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 14 धाराओं को निरस्त किया गया है। भारतीय न्याय संहिता, जो IPC को रिप्लेस करेगी, में पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 358 धाराएं होंगी, 21 नए अपराध जोड़े गए हैं, 41 अपराधों में कारावास की अवधि को बढ़ाया गया है, 82 अपराधओं में जुर्माना बढ़ाया गया है, 25 अपराधओं में अनिवार्य न्यूनतम सज़ा शुरू की गई है, 6 अपराधओं में सामुदायिक सेवा का दंड रखा गया है और 19 धाराओं को निरस्त किया गया है। इसी प्रकार, भारतीय साक्ष्य विधेयक, जो Evidence Act को रिप्लेस करेगा, में 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होंगी, 24 धाराओं में बदलाव किया गया है, 2 नई धाराएं जोड़ी गई है और 6 धाराएं निरस्त की गई हैं।
गृह मंत्री ने कहा कि 35 सांसदों ने इन विधेयकों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
उन्होंने कहा कि इन तीनों पुराने कानूनों के स्थान पर लाए जा रहे ये नए कानून हमारे संविधान की तीन मूल भावनाओं- व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सबके साथ समान व्यवहार के सिद्धांतों के आधार पर बनाए गए हैं। गृह मंत्री ने कहा कि वर्तमान तीनों कानूनों में न्याय की कल्पना ही नहीं की गई है और दंड देने को ही न्याय माना गया है।
शाह ने तीनों आपराधिक विधेयकों को परिवर्तनकारी बताया। इनका उद्देश्य ब्रिटिश काल के कानूनों को बदलना है। उन्होंने कहा कि नया कानून मौजूदा आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव लाएगा। उन्होंने कहा कि 1860 में बने भारतीय दंड संहिता का उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना था।
शाह ने कहा कि अब उसकी जगह भारतीय़ न्याय संहिता, 2023, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और इंडियन एवीडेंस एक्ट, 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय आत्मा के साथ बनाए गए इन तीन कानूनों से हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने गुलामी की मानसिकता और निशानियों को जल्द से जल्द मिटाने और नए आत्मविश्वास के साथ महान भारत की रचना का रास्ता प्रशस्त करने का आग्रह रखा है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने लाल किले की प्रचारी से कहा था कि कोलोनियल कानूनों से इस देश को जल्दी मुक्ति मिलनी चाहिए औऱ उसी के तहत गृह मंत्रालय ने 2019 से इन तीनों पुराने कानूनों में परिवर्तन लाने के लिए गहन विचार-विमर्श शुरू किया था।
शाह ने कहा कि ये कानून एक विदेशी शासक ने अपने शासन को चलाने और गुलाम प्रजा को गवर्न करने के लिए बनाए गए थो।
अमित शाह ने कहा कि इन कानूनों के संबंध में कुल 3200 सुझाव प्राप्त हुए थे और इन तीनों कानूनों पर विचार के लिए उन्होंने स्वयं 158 बैठकें कीं।
उन्होंने कहा कि 11 अगस्त, 2023 को इन तीनों नए विधेयकों को गृह मंत्रालय की स्थायी समिति के विचारार्थ भेजा गया था।
शाह ने कहा कि फॉरेंसिक साइंस को इनमें बहुत तवज्जो दी गई है। इन कानूनों के माध्यम से जल्द न्याय मिले, इसके लिए इन कानूनों में पुलिस, वकील और न्यायाधीश के लिए समयसीमा रखने का काम भी किया गया है।
शाह ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता में मानव और शरीर संबंधित अपराधों जैसे, बलात्कार, गैंगरेप, बच्चों के खिलाफ अपराध, हत्या, अपहरण और ट्रैफिकिंग आदि को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी जी ने एक ऐतिहासिक निर्णय करते हुए राजद्रोह की धारा को पूरी तरह से हटाने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता में इस बारे में एक नया चैप्टर जोड़ा गया है। 18 वर्ष से कम उम्र की महिला के बलात्कार के अपराध में आजीवन कारावास औऱ मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है। गैंगरेप के मामलों में 20 साल या ज़िंदा रहने तक की सज़ा का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि आतंकवादी ही मानवाधिकार का हनन करता है और उसे कठोर से कठोर सज़ा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डायनामाइट, विस्फोटक पदार्थ, ज़हरीली गैस, न्यूक्लीयर का उपयोग जैसी घटनाओं में कोई भी मृत्यु होती है, तो इसका ज़िम्मेदार आतंकवादी कृत्य में लिप्त माना जाएगा।
गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 के अंतर्गत सीआरपीसी में 531 धाराएं होंगी, जबकि पहले केवल 484 धाराएं थीं। श्री शाह ने कहा कि नए विधेयक के अंतर्गत 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और नौ नई धाराएं जोड़ी गई हैं, जबकि 14 धाराएं निरस्त कर दी गई हैं।
गृहमंत्री ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 की जगह लेने वाली भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023 के अंतर्गत पहले की 511 धाराओं के बजाय अब 358 धाराएं होंगी। श्री शाह ने कहा कि 21 नए अपराध जोड़े गए हैं और 41 अपराधों में सजा की अवधि बढ़ा दी गई है।
गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 के अंतर्गत पहले की 167 धाराओं के बजाय अब 170 धाराएं होंगी। उन्होंने कहा कि 24 धाराओं में बदलाव किये गये हैं।
Follow @JansamacharNews