भोपाल, 10 नवंबर| मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि “भारतीय लोक जीवन सकारात्मकता और जीवन्तता से समृद्ध है। यह वर्तमान में विश्वास करता है। इसका अपना जीवन दर्शन है, अपनी जीवन दृष्टि है और उत्सवधर्मिता है। यहां मृत्यु का भी उत्सव मनाया जाता है।”
विधानसभा परिसर में 12 नवंबर से शुरू हो रहे तीन दिवसीय ‘लोक मंथन’ कार्यक्रम के अंतर्गत शुक्रवार को प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए चौहान ने कहा, “भारत की संस्कृति और लोक जीवन में आनंद की बहुलता और अपनी परंपराओं से भावनात्मक लगाव है। पश्चिमीकरण की अंधभक्ति के कारण आधुनिक जीवन आनंद और जीवन्तता से विमुख हो गया है।”
यह आयोजन संस्कृति विभाग, प्रज्ञा प्रवाह और भारत भवन के सहयोग से हो रहा है। लोक मंथन में ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ के दर्शन में विश्वास रखने वाले विचारक भाग ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत एक महान एवं प्राचीन राष्ट्र है। पांच हजार सालों का इसका ज्ञात इतिहास है। जब भारत की सभ्यता चरमोत्कर्ष पर थी तब कई राष्ट्रों का जन्म भी नहीं हुआ था। तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय यहां अस्तित्व में थे।
चौहान ने कहा कि ‘लोक मंथन’ में जो विचार मंथन होगा उसे राज्य सरकार आगे बढ़ाने का काम करेगी। संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने लोक मंथन कार्यक्रम एवं प्रदर्शनी की अवधारणा की जानकारी दी।
विधानसभा अध्यक्ष सीतासरण शर्मा एवं मुख्यमंत्री चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह ने वाग्देवी की प्रतिमा के समक्ष पारंपरिक कलश की स्थापना कर दीप प्रज्ज्वलित किया और जनजातीय पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार तुलसी पूजा की।
इस अवसर पर सांसद आलोक संजर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और प्रज्ञा प्रवाह के सदानंद सप्रे उपस्थित थे।–आईएएनएस
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