Yamuna

आने वालों सालों में भारत में गंभीर जल संकट का खतरा

नई दिल्ली, 06 जून (जनसमा)। आने वालों सालों में भारत में गंभीर जल संकट खड़ा हो सकता है। इसका बड़ा कारण पेड़ों और जंगलों का विनाश, नदियों औा जल स्रोतों का निरंतर प्रदूषित होते रहना तथा भूजल का अधिक से अधिक उपयोग करना है।

उत्‍तर प्रदेश के नरोरा में विश्‍व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘’गंगा चौपाल’’ को संबोधित करते हुए सोमवार को सुश्री भारती ने कहा कि  जल संरक्षण, वर्षा जल संचय तथा घाटों को स्‍वच्‍छ रखने के लिए एक जन आंदोलन शुरू करना चाहती हूं, जिसमें सेवा निवृत्‍त वरिष्‍ठ नागरिक,  विद्यार्थी तथा गृहणियों की आवश्‍यकता होगी।

भारत में भूजल एक महत्वपूर्ण संसाधन है। हालांकि, भूजल का दोहन करने वालों की संख्या चिन्ताजनक स्तर तक पहुंच गई है। यदि मौजूदा रुझान जारी रहा तो 20 वर्षों में  भारत के सभी प्रकार के जल स्रोतों का 60% हिस्सा एक गंभीर स्थिति में होगा।

A view of polluted Yamuna river flowing by the Taj Mahal in Agra on June 5, 2017. (Photo: Pawan Sharma/IANS)

अब से पांच साल पहले मार्च, 2012 में चेतावनी देते हुए विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि भारत दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। हर साल भारत अनुमानित 230   क्यूबिक किलोमीटर भूजल का उपयोग करता है, जो विश्व में  जल का उपयोग करने वालों का एक चौथाई है।

विश्व बैंक की  रिपोर्ट में दीप वेल्स एंड प्रुडेंस कहते हैं कि  इसका कृषि, दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा, आजीविका, और आर्थिक विकास की स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। यह अनुमान लगाया गया है कि  देश की एक चौथाई फसल पर भी खतरों के बादल मंडराने लगेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि यथास्थिति को बदलने की तत्काल आवश्यकता है।

जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती  के अनुसार गंगा बेसिन में कुल पुन:पूर्ति योग्‍य भू-जल संसाधन 170.99 बिलियन क्‍यूबिक मीटर (बीसीएम) है। गंगा बेसिन में 433 बीसीएम के साथ देश के कुल पुन:पूर्ति योग्‍य भू-जल का 40 प्रतिशत है। वास्‍तविक भू-जल उपलब्‍धता 398 बीसीएम हैं।

उन्‍होंने कहा कि भू-जल में कमी की समस्‍या पर विचार के लिए ग्रामीण विकास सचिव, जल संसाधन सचिव तथा पर्यावरण सचिव की एक समिति शीघ्र ही बनाई जाएगी। उन्‍होंने प्रदूषण को कम करने के लिए प्‍लास्‍टिक/पॉलिथीन बैग के इस्‍तेमाल से परहेज करने का आग्रह किया।

उन्‍होंने कहा कि गंगा नदी के प्रदूषण का प्रमुख कारण प्‍लास्‍टिक सामग्री का इस्‍तेमाल है और इसे रोका जाना चाहिए।