भारत के महान संगीतज्ञ बाबा उस्ताद अलाउद्दीन खा़ँ की स्मृति में 17 से 19 फरवरी के बीच मध्यप्रदेश में सतना ज़िले केे मैहर (Maihar) में आयोजित उस्ताद अलाउद्दीन खा़ँ समारोह (Ustad Alauddin Khan Festival) शास्त्रीय नृत्य और संगीत के कलाकारों की यादगार प्रस्तुतियों के साथ सम्पन्न हो गया।
तीन दिन के इस समारोह में देश के जानेमाने शास्त्रीय गायन, वादन और नृत्य के कलाकारों ने भाग लिया।
समापन समारोह कार्यक्रम में 19 फरवरी को दिल्ली की प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना और गुरू सुश्री प्रेरणा श्रीमाली (Prerana Shrimali) की एकल कथक नृत्य प्रस्तुति मैहर के दर्शकों को लंबे समय तक याद रहेगी।
प्रेरणा श्रीमाली कथक के अभिनय और व्याकरण पक्ष की मनीषी कलाकार मानी जाती हैं। उन्होंने अपनी लयकारी, भावाभिव्यक्ति और तोड़े, टुकड़े, गत आदि के पारंपरिक संयोजन से नृत्य को नए अंदाज में प्रस्तुत किया।
प्रेरणा श्रीमाली के साथ तबले पर प्रसिद्ध तबलावादक फतेहसिंह गंगानी ने शानदार संगत की और दर्शकों से तालियाँ बटोरी।
मैहर बैंड
समारोह के समापन में दुनिया भर से प्रशंसा बटोरने वाले मैहर बैंड के कलाकारों ने परंपरा को बनाये रखकर शानदार संगीत प्रस्तुति दी, जिसे दर्शक हमेशा याद रखेंगे।
मैहर बैंड का संयोजन पद्मविभूषण बाबा अलाउद्दीन खा़ँ साहब ने 1918 में मैहर रियासत के तत्कालीन राजा बृजनाथ सिंह जूदेव की प्रेरणा से किया था। भारतीय शास्त्रीय संगीत की परंपरा को बरकरार रखने में इस वाद्यवृन्द की महत्वपूर्ण भूमिका है।
भरतनाट्यम (Bharatnatyam)
समारोह में पहले दिन 17 फरवरी को भरतनाट्यम की लोकप्रिय कलाकार दिल्ली की श्रीमती रमा वैद्यनाथन और उनके समूह ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी। यह प्रस्तुति इतनी सहज थी कि उत्तर भारत की रसिक दर्शक दक्षिण भारतीय शैली का पूरा आनंद ले सके।
ओड़िसी नृत्य
वहीं दूसरे दिन 18 फरवरी को कोलकाता की मोनालिसा और उनके साथियों ने ओड़िसी नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
दोनों ही नृत्य शैलियों की प्रस्तुतियाँ शानदार कही जा सकती हैं।
गायन
तीन दिवसीय समारोह में गायन की जिन जानी-मानी हस्तियों और युवा प्रतिभाओं ने अपनी कला का जौहर दिखाया उनमें सुश्री कलापिनी कोमकली (देवास), अर्णव चटर्जी कोलकाता, सुनील मसुरकर इंदौर और नासिक की मंजरी असनारे के शास्त्रीय गायन ने दर्शकों से ढेर सारी वाहवाही लूटी।
वाद्य वादन में जिन कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया उनमें पखावज पर नई दिल्ली के डाॅ. अनिल चैधरी और सरोद पर कोलकाता के जयदीप घोष थे। 18 फरवरी को रायपुर के रजि मोहम्मद ने पियानो के सुरों से मैहर के दर्शकों को आनंदित कर दिया। वहीं 19 फरवरी को ग्वालियर के भरत नायक का सितार वादन शानदार रहा। कोलकाता के तरुण भट्टाचार्य और मुंबई की रूप कुलकर्णी का संतूर और बांसुरी की जुगलबंदी मैहर के दर्शकों को लंबे समय तक याद रहेगी।
मैहर के स्टेडियम ग्राम ग्राउंड में 17 से 19 फरवरी तक प्रतिदिन रात्रि को 8 बजे आयोजित उस्ताद अलाउद्दीन खान समारोह (Ustad Alauddin Khan Festival) में जिन संगतिकारों ने कलाकारों का साथ दिया उनमें तबला पर अनिल मोघे, सलीम अल्लाहवाले, मिथिलेश झा, रामेंद्र सिंह सोलंकी, शंभू नाथ भट्टाचार्यजी, अंशुल प्रताप सिंह, सौमित्रजीत चटजीर्, अभिजीत बनर्जी थे।
हारमोनियम पर जिन संगत कलाकारों ने सहयोग दिया वे थे रचना शर्मा, विवेक बंसोड़, धर्मनाथ मिश्रा जबकि सारंगी के संगतकार थे घनश्याम सिसोदिया।
इस समारोह का आयोजन मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग और अलाउद्दीन खा़ँ संगीत एवं कला अकादमी और मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, भोपाल द्वारा सतना जिला प्रशासन और स्थानीय आयोजन समिति के सहयोग से किया गया था।
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