नई दिल्ली,16 मई (जनसमा)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शासन के तीन साल धमक के साथ पूरे कर लिए। वह 16 मई 2014 का दिन था। एनडीए ने भाजपा के नरेन्द्र मोदी की सरपरस्ती में लोकसभा का चुनाव अप्रत्याशित बहुमत से जीता औा कांग्रेस को 10 साल बाद सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया। वो कांग्रेस जिसने अंग्रेजों की तरह यह सोच लिया था कि उसके शासन का कभी सूर्यास्त नहीं होगा। आज कांग्रेस की छाया निरंतर सिमटती जारही है। विपक्ष कुन्द है और कांग्रेस सुन्न।
लोकतंत्र में सशक्त विपक्ष जरूरी है, लेकिन विपक्ष में नेतृत्व की जगह निजी- सत्ता भूख की जो राजनीति चल रही है उसने उसे हाशिए में लाकर खड़ा कर दिया है।
फाइल फोटो : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
इन तीन सालों में जो सबसे खास बात हुई वह थी डी मोनेटाइजेशन। इसने अनेक विपक्षी क्षत्रपों को भीतर से ही नहीं बाहर से भी तोड़ दिया।
मोदी सरकार के अनेक लोक कल्याणकारी निर्णय लीक से हटकर हुए। परंपरागत प्रशासन और उसके नौकरशाहों को समझ में ही नहीं आरहा है। वे अब भी भीतर के असमंजस को बाहर निकालने में सक्षम नहीं।
टिप्पणियों, कटाक्षों का बाजार गर्म है और इसी बीच गांव की महिला को धुंए से निजात मिल जाती है। वह वोटों से भाजपा की नहीं, नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की झोली भर देती है।
तो आसमान में जो उजाले की लकीरें दिख रही हैं उसे समझने की कोशिश करते हैं।
सरकार की सफलता , घोषणाओं और योजनाओं का जो दस्तावेज है उसे पहले पढ़ते हैः
*मिशन अंत्योदय
- बजट 2017-18 में घोषणा की गई
- 1 करोड़ परिवारों को गरीबी से मुक्ति दिलाने का लक्ष्य
- 50,000 ग्राम पंचायतों को साल 2019 (महात्मा गांधी की 150वीं जयंती) तक गरीबी से मुक्त करना है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना
- वित्तीय समावेश के लिए 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री द्वारा शुभारंभ किया गया
- 62 प्रतिशत बैंक खाते ग्रामीण इलाकों में खोले गए
- 28.23 करोड़ जन धन खाते खोले गए (5 अप्रैल 2017 तक)
- जन धन खातों में कुल जमा राशि 63,971 करोड़ रुपये है (5 अप्रैल 2017 तक)
- 22 करोड़ से ज्यादा रुपे कार्ड जारी किये गए (5 अप्रैल 2017 तक)
- दिसम्बर 2016 में जीरो-बैलेंस जन धन खातों की हिस्सेदारी घटकर 24 प्रतिशत रह गई, जो दिसम्बर 2014 में 73 प्रतिशत थी
- बैंकों द्वारा 1.25 लाख से अधिक बैंक-मित्र नियुक्त किए गए
- 2.5 लाख ग्राम-डाक-सेवक बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट के रूप में काम करेंगे
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
- प्रधानमंत्री द्वारा 09 मई, 2015 को कोलकाता में शुभारंभ किया गया
- दुर्घटना के कारण मृत्यु पर जोखिम कवरेज का प्रावधान
- प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) में लगभग 10 करोड़ लोगों का नामांकन किया गया (5 अप्रैल, 2017 तक)
- सिर्फ 12 रुपये के सालाना प्रीमियम पर दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
- प्रधानमंत्री ने 09 मई, 2015 को कोलकाता में इसका शुभारंभ किया
- इस योजना में 3.10 करोड़ लोगों का नामांकन किया गया (5 अप्रैल, 2017 तक)
- केवल 330 रुपये के सालाना प्रीमियम पर दो लाख रुपये का जीवन बीमा
अटल पेंशन योजना
- प्रधानमंत्री ने 09 मई, 2015 को कोलकाता में इस योजना की शुरुआत की
- अंसगठित क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित
- 31 दिसम्बर, 2015 से पहले खोले गए नए खातों में पांच साल तक लाभार्थियों के प्रीमियम का 50 प्रतिशत (1000 रुपये तक) योगदान सरकार देगी
- 38.23 लाख लोगों का नामांकन किया गया (28 दिसंबर 2016 तक)
- 1344 करोड़ रुपये की राशि पेंशन के रूप में वितरित की गई
*डीबीटी
- डीबीटी के तहत सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में 1.79 लाख करोड़ रुपये डाले गये हैं
- फर्जी लाभार्थियों और बिचौलियों से छुटकारा मिलने से डीबीटी की बदौलत पिछले तीन वर्षों में 49,560 करोड़ रुपये की बचत
- डीबीटी के जरिये 33 करोड़ लोगों को विभिन्न तरह की सब्सिडी सीधे उनके बैंक खातों में मिली
- वर्तमान में डीबीटी के तहत 27 मंत्रालयों/विभागों की 138 योजनाएं कवर की जा रही हैं। मार्च, 2015 में यह संख्या केवल 34 ही थी
- 31 मार्च 2018 तक 533 केंद्रीय भुगतान योजनाओं को डीबीटी के अंतर्गत लाने का लक्ष्य है
*पहल
प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ : एलपीजी उपभोक्ताओं के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीएलटी) योजना
54 जिलों में 15 नवम्बर, 2014 को इसकी शुरुआत की गई, जिसे 1 जनवरी, 2015 से 622 और जिलों में विस्तारित किया गया
- एलपीजी उपभोक्ताओं के बैंक खातों में सब्सिडी का सीधा हस्तांतरण
- अब तक लगभग 17.13 करोड़ लोग लाभान्वित हुए हैं
- दुनिया का सबसे बड़ा नकद हस्तांतरण कार्यक्रम
- अब तक 47,410 करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में सीधे लाभार्थियों के खातों में हस्तांतरित किये गये हैं
- 2014-17 के दौरान सब्सिडी मद में 22,515 करोड़ रुपये की बचत हुई
*गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) का देश भर में विस्तार किया गया
- 2013 में शुरू किया गया राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम मई 2014 में केवल 11 राज्यों में ही लागू था
- अब 80.50 करोड़ लोगों को 2 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और 3 रुपये प्रति किलो की दर से चावल मिलता है
*दीन दयाल अंत्योदय योजना
- चालू वित्त वर्ष में स्वयं-सहायता समूहों (एसएसजी) को 16,000 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि उपलब्ध कराई गई
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
- बीपीएल परिवारों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने के लिए प्रधानमंत्री ने 01 मई, 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया में इस योजना की शुरुआत की
- सार्वभौमिक रसोई गैस कवरेज सुनिश्चित की जायेगी, महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की रक्षा की जायेगी; खाना पकाने में कम समय लगेगा
- एलपीजी गैस की आपूर्ति के काम में ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार सृजित होंगे
- बीपीएल परिवारों को 2.07 करोड़ एलपीजी कनेक्शन दिए गए (5 अप्रैल, 2017 तक)
- देश भर में योजना का विस्तार किया गया, अब 694 जिलों में योजना की पहुंच सुनिश्चित की गई
- तीन सालों में (2016 से 2019 तक) 5 करोड़ एलपीजी कनेक्शन देने का लक्ष्य
- योजना के लिए 8000 करोड़ रुपये का प्रावधान
- एलपीजी उपभोक्ताओं के लिए 24X7 हेल्पलाइन : 1906 डायल करें
ग्रामीण निर्धनों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि का व्यय
महात्मा गांधी नरेगा
- 48 हजार करोड़ रुपये का अधिकतम बजट आवंटन (2017-18 में सर्वाधिक बजट)
- वित्त वर्ष 2016-17 में अब तक 51,902 करोड़ रुपये का व्यय हुआ, जो इस कार्यक्रम की शुरुआत से लेकर अब तक का सर्वाधिक है।
- वित्त वर्ष 2016-17 में अब तक 51.3 लाख कार्य पूरे किये गये, जबकि वित्त वर्ष 2013-14 तक औसतन 25 से 30 लाख कार्य पूरे किए जाते थे
- वित्त वर्ष 2016-17 में महिलाओं की भागीदारी बढ़कर 56 फीसदी हो गई, इस कार्यक्रम की शुरुआत से लेकर अब तक महिलाओं की सर्वाधिक भागीदारी
- 5 लाख खेत तालाबों का लक्ष्य समय से पहले पूरा हुआ; अब मार्च 2017 तक 10 लाख खेत तालाबों का लक्ष्य
- डीबीटी के जरिये मनरेगा श्रमिकों के 95 प्रतिशत से भी अधिक मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है, जबकि वर्ष 2013-14 में यह आंकड़ा 37 प्रतिशत था
- वर्ष 2016-17 में जियो-मनरेगा के जरिए करीब 65 लाख परिसम्पत्तियों को जियो से जोड़ा गया और सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराया गया
- निरर्थक श्रम के स्थान पर अब टिकाऊ संसाधनों के सृजन पर ध्यान केन्द्रित करने से श्रमिकों सहित इन क्षेत्रों के सभी लोगों को लाभ होगा
*भारतीय डाक भुगतान बैंक
- गरीबों और बैंकिंग सुविधाओं से वंचित लोगों को उनके घर पर ही बैंकिंग प्रणाली उपलब्ध करायेगा भारतीय डाक भुगतान बैंक
- 2.5 लाख से अधिक ग्राम डाक सेवकों को बैंकिंग संवाददाता के रूप में काम करने का अवसर मिल सकता है
*प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
- योजना के लिए आवंटन में तीन गुना वृद्धि और ऋण की सुविधाएं
गरीब कल्याण
- आय घोषणा योजना 2016 के तहत सरकार को राजस्व की प्राप्ति (65,250 करोड़ रूपए जमा हुए)।
- जमा राशि को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के जरिए गरीबों की बेहतरी के लिए संसाधन जुटाने के लिए खर्च किया जाएगा।
कामगारों को उनका सही हक
- कृषि और गैर-कृषि दोनों ही क्षेत्रों में न्यूतम मजदूरी में 42 प्रतिशत वृद्धि, इससे 55 लाख अतिरिक्त श्रमिक सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे
- सातवां वेतन आयोग : 50 लाख कर्मचारियों और 35 लाख पेंशन भोगियों को लाभ
- बोनस भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2015, बोनस भुगतान के लिए पात्रता सीमा 10 हजार रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 21 हजार रुपये प्रति माह
- श्रम सुविधा पोर्टल : श्रमिकों को अनूठी पहचान संख्या का आवंटन, प्रतिष्ठानों का ऑनलाइन पंजीकरण
- श्रमिकों की स्थायी पहचान देने के लिए अनूठी पहचान संख्या का आवंटन किया गया, ईपीएफओ ने 6.57 करोड़ यूएएन जारी किये, जिनमें से 2.5 करोड़ को मोबाइल फोन के जरिए सक्रिय किया गया है
- कुछ खास उद्यागों को रिटर्नों, श्रमिक पंजीकरण, निरीक्षण आदि से रियायत देने के उद्देश्य से श्रम कानूनों में संशोधन
- कारखाना अधिनियम 1948 में संशोधन करके महिलाओं के लिए रात की शिफ्ट, ओवरटाइम का समय बढ़ाने को मंजूरी
- अधिक संख्या में प्रशिक्षु सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अप्रेंटिस अधिनियम, 1961 में संशोधन, वजीफे को न्यूनतम मजदूरी से जोड़ा गया
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना
- 25 जुलाई, 2015 को योजना की शुरुआत
- गांवों में रह रहे गरीबों को बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 500 करोड़ रुपये का शुरुआती आवंटन
- 2800 गांवों का शुरुआती लक्ष्य – एक वर्ष में 7108 गांवों में बिजली पहुंचाई गयी
- अभी तक बिजली से वंचित 18,452 गांवों में मई 2017 तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य
- 14 अप्रैल, 2017 तक बिजली से वंचित 18452 गांवों में से 13,267 गांवों तक बिजली पहुंचाई गई (72 प्रतिशत)
……….तो इन योजनाओं और सरकारी पहलों को कसौटी पर कसने के दिन अधिक दूर नहीं । 2019 दौड़ता हुआ आरहा है, तब पता चलेगा कि कसौटी कितनी चमकदार है।
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