मध्य प्रदेश के नौरादेही अभयारण्य में 30 अप्रैल को बांधवगढ़ से शिफ्ट किये गये बाघ एन-टू को ने रेडियो कॉलर पहना दिया गया है। कॉलर पहनने से यह बाघ जीपीएस और वीएचएफ के दायरे में आ गया है। कॉलरिंग के बाद बाघ को वापिस जंगल में छोड़ दिया गया है। नौरादेही टीम ने यह कार्य बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के नेतृत्व में आई रेस्क्यू टीम और हाथी की मदद से किया।
उल्लेखनीय है कि पन्ना की तर्ज पर नौरादेही में बाघों की पुनर्स्थापना की जा रही है। कान्हा से बाघिन और बांधवगढ़ से बाघ लाने से यहाँ बाघों का कुनबा बढ़ेगा। सौ किलो से अधिक वजन की बाघिन एन-वन नये माहौल से सामन्जस्य बिठाने लगी है। वह बाड़े में ही रह रही है और स्वाभाविक रूप से शिकार कर रही है। दो सौ किलो से अधिक का बाघ काफी शक्तिशाली है और बाड़े के बाहर नाले के पास रहना पसन्द कर रहा है।
बाघों के आने से स्थानीय लोगों में गर्व और उत्साह का माहौल है। अभयारण्य से विस्थापित गाँवों में वन विभाग घास उगा रहा है। इससे शाकाहारी प्राणी चीतल, चिंकारा, नीलगाय, आदि की संख्या बढ़ी है। भारतीय भेड़िया, भालू,सियार और जंगली बिल्ली भी यहाँ बहुतायत से पाये जाते हैं।
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