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चरमपंथी विचारधारा से लड़ने के लिए सूफी विचारों को प्रचलित करने की जरूरत

नई दिल्ली, 24 नवंबर | जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल एन. एन. वोहरा ने बुधवार को कहा कि आतंकवाद के खिलाफ एक जवाबी कहानी तैयार करने और चरमपंथी विचारधारा से लड़ने के लिए परंपरागत सूफी विचारों को फिर से प्रचलित करने की जरूरत है। वोहरा ‘अंतराष्ट्रीय आतंकवाद एवं चरमपंथ की चुनौतियों के निवारण’ विषय पर आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय विचार गोष्ठी में उद्घाटन भाषण कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया के देशों को सच्चे, लोकसंगत और पारंपरिक इस्लाम को पुन: प्रचलन में लाने के लिए एक साथ होने की जरूरत है। इस सामूहिक प्रयास में इस्लामिक धर्मगुरुओं को बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। धर्मगुरु शब्द दूर तक जाता है।

इस विचार गोष्ठी का आयोजन इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस ने किया था।

उन्होंने कहा कि हमें चरमपंथ के उपदेश के जवाब में परंपरागत सूफी विचारों को फिर से प्रचलन में लाना होगा। हमें अपने सभी देशों में युवाओं को इसमें लगाना होगा।

शिक्षा प्रणाली का किस तरह से कट्टरपंथ के लिए इस्तेमाल किया गया और किस तरह से इसी का इस्तेमाल इसके मुकाबले के लिए किया जा सकता है, इस बारे में राज्यपाल ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में शिक्षा प्रणाली अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी प्रणाली के जरिए बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया गया है। इस नुकसान की भरपाई करने के लिए हमें शिक्षा प्रणाली का ही इस्तेमाल करना होगा।

मुस्लिम युवाओं के बीच कट्टरपंथ के उदाहरणों पर वोहरा ने कहा, “हम लोग बहुत सारे देशों के इस तरह के बड़े समुदाय को सदियों से चली परंपरागत आस्था के अलावा इस तरह की किसी दिशा में नहीं जाने दे सकते।”

उन्होंने कहा, “इस्लाम की वास्तविक आस्था वह नहीं है जिसे आप आज देख रहे हैं।”–आईएएनएस