नई दिल्ली, 3 फरवरी। जीएसटी के प्रस्तावित कानूनके अनुसार किसी भी माल अथवा सेवा की खरीद या बिक्री, एक्सचेंज, ट्रांसफर, बार्टर, रेंट, लीज, लाइसेंस, डिस्पोजल अथवा दूसरे देश से माल अथवा सेवा निर्यात करने पर जीएसटी अनिवार्य रूप से लगेगा।
इस दायरे में व्यापार एवं उद्योग के अलावा ट्रांसपोर्ट, ट्रक ऑपरेटर, लघु उद्योग सहित किसी भी प्रकार की सेवा देने वाले लोग जिनमें मुख्य रूप से डॉक्टर, वकील,चार्टर्ड अकाउंटेंट, हर प्रकार के सलाहकार, ज्योतिषी, एजेंट, शेयर का काम करने वाले लोग आदि शामिल हैं।
बड़ी संख्या में ऐसे लोग किसी भी कानून में पंजीकृत नहीं है किन्तु अब जीएसटी में इन्हें भी पंजीकरण लेना जरूरी होगा! इसके अलावा सभी प्रकार के एनजीओ, सामजिक संगठन, स्वयंसेवी संगठन, ट्रस्ट, सोसाइटी, व्यापारिक संगठन, आरडब्ल्यूए आदि को भी जीएसटी में पंजीकरण कराना जरूरी है ।
इन सभी के लिए व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) दिल्ली में प्रस्तावित जीएसटी कर प्रणाली और डिजिटल पेमेंट की आवश्यकता पर एक व्यापारी सम्मेलन गुरूवार को आयोजित किया गया, जिसमें दिल्ली के व्यापारी नेताओं सहित कैट के राष्ट्रीय नेता एवं टैली सोलूशन्स के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया ने कहा कि जीएसटी टेक्नोलॉजी पर आधारित कर प्रणाली है जो वर्तमान कर प्रणाली से बिलकुल अलग है जिसमें कर की सारी प्रक्रिया कंप्यूटर के जरिये ही होगी और कागज का कोई काम नहीं होगा। दूसरी ओर यह भी तथ्य है कि बहुत बड़ी संख्यां में व्यापारियों ने अभी तक अपने व्यापार में कंप्यूटर का उपयोग शुरू ही नहीं किया है, ऐसे में किस तरह जीएसटी की पालना हो पायेगी यह एक बड़ा सवाल है।
व्यापार से सम्बंधित जीएसटी की बारीकियों और टेक्नोलॉजी द्वारा जीएसटी की पालना होगी और इसके लिए व्यापारियों को अपने वर्तमान व्यापारिक ढांचे में तकनीक के क्या परिवर्तन करने होंगे, यह जानना बेहद आवश्यक है ! उन्होंने कहा कि प्रस्तावित जीएसटी में प्रत्येक व्यक्ति की रेटिंग भी होगी! जीएसटी में रिटर्न भरने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को एक जीएसटी सुविधा प्रोवाइडर (जीएसपी) को चुनना होगा! जीएसटी नेटवर्क ने टैली सहित देश में 33 कंपनियों को जीएसपी बनाया है।
उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी लगने के बाद कर प्रदाताओं की संख्यां में बड़ा इजाफा होगा! सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वैट, एक्साइज एवं सर्विस टैक्स कानूनों में वर्तमान में लगभग 90 लाख लोग पंजीकृत है जो स्वतः ही जीएसटी के दायरे में आएंगे। इसके अलावा बड़ी संख्यां में ऐसे लोग भी हैं जिन्हें जीएसटी के दायरे में आना ही पड़ेगा!
टैली सॉल्यूशंस के नेशनल सेल्स हेड जॉयस रे ने कहा कि ऐसे समय में जब सरकार पूरे तौर पर देश में ई व्यवस्था को लागू कर रही है ऐसे में व्यापारियों और उद्यमियों को भी ई सिस्टम से अपने आपको जोड़ना होगा । उन्होंने कहा कि कम नक़दवाली अर्थव्यवस्था और सरलीकृत कर प्रणाली के साथ नान कॉर्पोरेट सेक्टर को मज़बूत करते हुए व्यापार के नए अवसर उपलब्ध करना और वैश्विक चुनोतीयों के लिए सक्षम बनाना कैट एवम टैली की प्राथमिकता है। इतने बड़े वर्ग को टेक्नोलॉजी के हिसाब से जानकारी देना और टेक्नोलॉजी के माध्यम से जीएसटी की सरल पालना के लिए तैयार करना बेहद चुनोती पूर्ण लेकिन आवश्यक है। इस दृष्टि से बड़ी संख्यां में प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता होगी जो देश के प्रत्येक शहर में लोगों को टेक्नोलॉजी अपनाने में सहायता करें! कैट और टैली का यह संयुक्त अभियान इस दिशा में एक बड़ा कदम है और संभवत देशमें पहला अभियान है जो जीएसटी को लागू करने की दिशा में उठाया है।
कैट के दिल्ली चैप्टर के अध्यक्ष रमेश खन्ना ने बताया कि टीम कैट बड़े पैमाने पर पूरे राज्यं में जीएसटी पर जागरूकता अभियान चलाएगा जिसके प्रथम चरण में दिल्ली के सभी स्थानों मे व्यापारी सम्मेलन आयोजित किये जाएंगे और प्रदेशभर के 250 व्यापारियों को जीएसटी की बारीकियों से प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है जो आगे चलकर प्रत्येक जिलें के विभिन्न शहरों में जीएसटी पर व्यापारियों और अन्य वर्गों के साथ बैठकें करेंगे!
उन्होंने यह भी बताया की इस अभियान में कैट चार्टर्ड अकाउंटेंट, टैक्स प्रैक्टिशनर और कर विशेषज्ञों को भी जोड़ेगा! कैट के दिल्ली चैप्टर चेयरमैन, नरेंद्र मदान ने कहा कि जीएसटी के विभिन्न मुद्दों पर व्यापारियों की अनेक चिंताएं भी हैं जिसमें खास तौर पर इनपुट क्रेडिट का आसानी से मिलना, सप्लाई की परिभाषा, रिटर्न इनवैलिड होना, जीएसटी लागू होने के समय व्यापारियों के पास माल के स्टॉक का क्या होगा आदि शामिल हैं जिन पर कैट ने केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार को अवगत करा दिया है और उम्मीद है कि जीएसटी एक सरलीकृत कर प्रणाली के रूप में विकसित होगी ।
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