नई दिल्ली, 02 मार्च (जनसमा)। कुछ बैंकों द्वारा बचत खातों में एक महीने में 4 से अधिक बार नकद जमा करने या निकालने पर बेहिसाब चार्ज लगाने का कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जबरदस्त विरोध करते हुए इसे बैंकों का वित्तीय आतंकवाद करार दिया है और बैंकों द्वारा आम आदमी को अपनी मनमर्जी पर रखे जाने की कड़ी निंदा भी की है !
कैट ने कहा है की इस तरीके से देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है ! इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार के सीधे हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए कैट ने कहा है की सरकार लोगों को बैंकों के इस अधिनायकवादी रवैय्ये से बचाये ! बैंकों का यह कदम सीधे तौर पर आम लोगों को बुरी तरह प्रभावित करेगा क्योंकि बचत खातों और सैलरी खातों से नाता आम लोगों का है जिनको अनेक जिम्म्मेदारी पूरी करने के लिए बैंकों से नकद निकलवाना भी पड़ता है और जमा भी कराना पड़ता है !
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बैंकों के इस कदम का घोर विरोध करते हुए कहा की देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना बेहद आवश्यक है और कैट गत दो वर्षों से अधिक समय से मास्टरकार्ड के साथ मिलकर संयुक्त रूप से देश भर में डिजिटल भुगतान को अपनाने को लेकर एक राष्ट्रीय अभियान भी चलाये हुए है ! यदि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना है तो सरकार को डिजिटल भुगतान पर लगने वाले शुल्क को सब्सिडी के माध्यम से बैंकों को भरपाई करनी चाहिए और इसके साथ हुई डिजिटल भुगतान कारण पर इंसेंटिव स्कीम भी दी जानी चाहिए! व्यापारियों और उपभोक्ताओं पर शुल्क का भर नहीं पड़ना चाहिए !
उन्होंने यह भी कहा की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन एवं ट्रेड एसोसिएशन सहित अन्य संगठनों के साथ आपसी बातचीत के आधार पर सरकार को डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने हेतु एक बृहद योजना बनानी चाहिए !
दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा की यदि बैंकों ने इसी तरह अपना रवैय्या जारी रखा तो मजबूर होकर लोगों को कोआपरेटिव बैंकों में खाता खोलना पड़ेगा ! बैंक बड़ी मात्रा लोगों द्वारा जमा कराये गए धन से लोन देकर ब्याज से बहुत पैसा कमाते हैं ! इसके अलावा करंट खातों में रखे पैसों पर कोई ब्याज न देकर उस धन को भी लोन देकर ब्याज की कमाई बैंकों को होती है ! इस दृष्टि से बैंकों को मानवीय चेहरा रखते हुए इस प्रकार के चार्ज को वापिस लेना चाहिए
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