लोकसभा ने गुरुवार को ट्रिपल तालाक विधेयक पारित कर दिया। 245 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया जबकि 11 वोट इसके विरोध में पड़े।
इस विधेयक में तीन बार तलाक एक साथ बोलकर तुरंत तलाक देने को अमान्य और अवैध करार दिया गया है।
इस विधेयक में इस तरह से वैवाहिक संबंध तोड़ने को दंडनीय अपराध घोषित करने तथा इसके लिए तीन साल के कारावास का भी प्रावधान किया गया है।
यह विधेयक 2018 में लागू किये गये मुस्लिम महिला वैवाहिक अधिकार संरक्षण अध्यादेश का स्थान लेगा।
लोकसभा ने मुस्लिम महिला वैवाहिक अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 को कुछ विपक्षी सदस्यों के संशोधन के प्रस्तावों को रद्द करके मंजूरी दे दी।
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इसे किसी धर्म को ध्यान में रखकर नहीं लाया गया है, बल्कि इसका उद्देश्य महिलाओं को न्याय दिलाना है।
कांग्रेस, राजद, नेशनल कांफ्रेंस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग की किन्तु मांग स्वीकार न किये जाने के विरोध में उक्त पार्टियों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। बाद में बीजू जनता दल के सदस्य भी सदन से वाकआउट कर गये।
विधेयक को अब बहस के लिए राज्यसभा भेजा जाएगा। उच्च सदन राज्यसभा में विधेयक को पारित करना सरकार के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि इसमें 123 मतों की जरूरत है और कांग्रेस, बीजेडी, अन्नाद्रमुक, सपा सहित विपक्ष पहले ही निचले सदन लोकसभा में विधेयक को खारिज कर चुके हैं। एनडीए दलों के पास राज्यसभा की लगभग 80 सीटें हैं।
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