उदयपुर हाउस (Udaipur House), मेवाड़ के महाराणा (Maharana of Mewar) द्वारा बनाई गई, बारह हजार वर्गमीटर में फैली लगभग दो हजार करोड़ रु की अनुमानित लागत की बेशकीमती इमारत राजस्थान सरकार को शीघ्र मिलने की संभावना है।
आईये जानते हैं इस शानदार इमारत उदयपुर हाउस (Udaipur House) की कहानी को।
दिल्ली के सिविल लाइंस (Civil Lines) क्षेत्र में स्थित करीब 12 हजार वर्गमीटर में फैले उदयपुर हाउस (Udaipur House) की अनुमानित बाजार कीमत करीब 1500 से 2000 करोड़ रु.आँकी जाती है।
राजस्थान की पूर्व रियासतों के शासकों ने ब्रिटिश काल मे वायसराय के साथ समय-समय पर होने वाली बैठकों व मुलाकातों के लिए दिल्ली में अपने अस्थाई कैम्प ऑफिस व निवास के लिए भवन बनवायें थे।
इन भवनों में से अधिकांश भवन इंडिया गेट के पास नई दिल्ली के लुटियन्स जोन में और कुछ पुरानी दिल्ली में स्थित है।
— नीति गोपेन्द्र भट्ट की विशेष रिपोर्ट —
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के प्रयासों से अब उनके तीसरे मुख्यमंत्रित्व काल मे पुरानी दिल्ली में उपराज्यपाल के राजकीय आवास ‘राजनिवास’ के पास स्थित ‘उदयपुर हाउस’ (Udaipur House) का कब्जा भी राजस्थान सरकार को मिलने वाला है।
राजा-महाराजाओं के प्रिवीपर्स समाप्त होने के बाद 1970 से 80 के दशक में इनमें से कई भवन भारत सरकार के अधीन चले गए।
इसी क्रम में पुरानी दिल्ली में ‘उदयपुर हाउस’ (Udaipur House) पर केंद्र/दिल्ली सरकार काबिज हो गई, लेकिन इस दौर में भी जयपुर हाउस, भरतपुर हाउस (अब राजस्थान हाउस) एवं जोधपुर हाउस (नई दिल्ली में राजस्थान के राज्यपाल व मुख्यमंत्री का राजकीय निवास) राजस्थान सरकार के अधीन ही रहे।
बूंदी हाउस सरकारी परिसरों में लुप्त हो गया। सिरोही हाउस एवं अन्य कुछ परिसम्पतियों का विवाद अभी भी जारी हैं।
’उदयपुर हाउस (Udaipur House) हासिल करने के लिए लंबी जद्दोजहद’
अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री (Chief Minister) के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही पुरानी दिल्ली में स्थित व करीब 12 हजार वर्ग मीटर में फैले ऐतिहासिक व बेशकीमती ‘उदयपुर हाउस’ को हासिल करने के प्रयास तेज कर दिए।
यह प्रयास अब रंग ला रहे है व राज्य सरकार को शीघ्र ही उदयपुर हाउस भी अपने अधिकार में लेने में सफलता मिलती दिखाई दे रही हैं।
’दिल्ली सरकार देगी उदयपुर हाउस वापस’
दिल्ली के सिविल लाइंस स्थित उदयपुर हाउस (Udaipur House) मेवाड़ के महाराणा का निवास स्थान था।
आजादी के बाद यह संपत्ति केन्द्र/राजस्थान सरकार के अधिकार में आ गई थी। कालान्तर में यहाँ दिल्ली सरकार के लेबर डिपार्टमेंट के कार्यालय थे ,जिसे राजस्थान सरकार ने किराये पर दिया था।
बाद में दिल्ली सरकार के श्रम विभाग का अपना परिसर बन जाने पर भी दिल्ली सरकार ने उदयपुर हाउस कोे अपने कब्जे में ही रखा और इसे न तो भारत सरकार के सुपुर्द किया न राजस्थान सरकार को सौंपा।
अपने मुख्यमंत्रित्व काल के दूसरे कार्यकाल में 2010 में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उदयपुर हाउस (Udaipur House) राजस्थान सरकार को वापस सौंपे जाने के लिए दिल्ली सरकार से बातचीत की थी। लेकिन तब दिल्ली सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई थी।
इसके बाद वसुंधरा राजे की सरकार भी उदयपुर हाउस (Udaipur House) को दिल्ली सरकार से नहीं ले पाई। अंतत्वोगत्वा मामला कोर्ट कचहरी तक पहुंच गया।
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दोनों सरकारों को सहमति से विवाद निपटाने के निर्देश दिए। इस पर दोनों सरकारों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में उदयपुर हाउस को राजस्थान सरकार को सौंपने पर सहमति बनी है।
राजस्थान सरकार की तरफ से मुख्य सचिव डीबी गुप्ता (D B Gupta) बैठक में शामिल हुए।
अब दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में उदयपुर हाउस (Udaipur House) खाली कर राजस्थान को सौंपने की सहमति का हलफनामा पेश करेगी। इस प्रकार दिल्ली के सिविल लाइंस क्षेत्र में स्थित बेशकीमती उदयपुर हाउस अब जल्द राजस्थान सरकार को वापस मिल जाएगा।
पिछले दिनों दिल्ली में राज्य के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने बताया कि आजादी के बाद राजस्थान सरकार ने उदयपुर हाउस को दिल्ली सरकार के कार्यालयों के उपयोग के लिए किराए पर दिया था।
दिल्ली सरकार ने 1965 के बाद किराया देना भी बंद कर दिया। उसके बाद लगातार अधिकारिक कार्यवाही चलती रही, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दोनों सरकारों में आपसी सहमति बन गई है।
गुप्ता ने बताया कि राजस्थान सरकार ने पहले दिल्ली सरकार को उदयपुर हाउस (Udaipur House) के बदले में इसी कीमत की जमीन दिल्ली में अन्य किसी उपयुक्त स्थान पर देने का विकल्प भी दिया था, लेकिन ग्रीन ट्रिब्यूनल आदि अड़चनों के कारण समझौता नहीं हो सका।
अब उदयपुर हाउस (Udaipur House) के राजस्थान सरकार को मिलने का बहुप्रतीक्षित समय बहुत निकट आ पहुंचा है और इसका पूरा श्रेय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व राज्य सरकार की पूरी टीम को जाता हैं।
राजस्थान सरकार को यह बेशकीमती संपत्ति हासिल होने के बाद इसे सिविल लायन्स में स्थित गुजरात सरकार के शाह ऑडिटेरिम व गुजरात समाज की तर्ज पर गेस्ट हाउस और सभागार तथा राजस्थानी हस्तशिल्पियों व हथकरघा प्रदर्शनियो का केंद्र बना कर स्थाई आमदनी व राजस्थानी समुदाय के लोगों की सहलुयित स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।
उदयपुर हाउस (Udaipur House) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मेवाड़ (Mewar) के तत्कालीन महाराणा (Maharana) ने दिल्ली में जब अपने भवन का निर्माण कराने का निर्णय लिया तो उन्होंने यह भवन नई दिल्ली में नही बनवा कर पुरानी दिल्ली में वर्तमान राजनिवास के नजदीक बनवाया।
उदयपुर हाउस (Udaipur House) दिल्ली के पॉश इलाके सिविल लाइंस के पास अलीपुर रोड को जोडने वाले राजपुर मार्ग व तीस हजारी कोर्ट रोड के निकट स्थित है।
उदयपुर के महाराणा शुरू से ही अपने स्वाभिमान के लिए जाने जाते रहे हैं। मुगलकाल से ब्रिटिश काल तक के उनके कई किस्से आज भी दिल्ली के गलियारों में चर्चित है।