नई दिल्ली, 28 अप्रैल। केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा कि जल संरक्षण के लिए परंपरागत जल स्रोतों के सार संभाल एवं जीर्णोद्धार समय की जरूरत है। भारती ने शुक्रवार को सागर (मध्य प्रदेश) के बांदरी में बुंदेलखंड, सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए व्यापक जल संरक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए यह विचार व्यक्त किए।
समारोह को संबोधित करते हुए जल संसाधन मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक एवं परंपरागत जल स्रोतों का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाना जरूरी है। ये छोटे छोटे जल स्त्रोत पेयजल एवं सिंचाई की बडी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न अध्ययनों से यह पता चला है कि जल की बडी परियोजनाओं की तुलना में अपेक्षाकृत छोटी परियोजनाओं से ज्यादा लाभ होता है।
उन्होंने बताया कि उनके मंत्रालय ने बुंदेलखंड क्षेत्र में भू-जल के कृत्रिम रिचार्ज के लिए मास्टर प्लान बनाया है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में लगभग 1100 परकोलेशन (रिसाव) टैंकों, 14000 छोटे चैक डैम/नाला पुश्तों तथा17000 रिचार्ज शॉफ्ट्स की पहचान की गई है। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में लगभग 2000 परकोलेशन टैंको, 55000 छोटे चैक डैम/नाला पुश्तों तथा 17000 रिचार्ज शॉफ्ट्स की पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि भू-जल खोज के हिस्से के रूप में उत्तरप्रदेश क्षेत्र के बुंदेलखंड के पांच जिलों-बांदा, हमीरपुर, जालौन, चित्रकूट और माहोबा में 234कुएं बनाये जाने का प्रस्ताव है। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के छह जिलों में भूजल खोज के लिए 259 कुओं के निर्माण का प्रस्ताव है।
उमा भारती ने कहा कि उनके मंत्रालय ने राष्ट्रीय भू-जल प्रबंधन सुधार योजना (एनजीएमआईएस) के अंतर्गत कई नई पहल की है। इसका उद्देश्य दबाव वाले ब्लॉकों में भू-जल की स्थिति में कारगर सुधार करना, गुण और मात्रा दोनों की दृष्टि से संसाधन को सुनिश्चित करना, भू-जल प्रबंधन और संस्थागत मजबूती में भागीदारीमूलक दृष्टिकोण अपनाना है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में 11 हजार 851 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र कवर करने वाले छह जिलों को इस पहल के अंतर्गत रखा गया है और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के 8319 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के पांच जिलों को रखा गया है।
(फाइल फोटो)
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