संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) की शुक्रवार, 16 अगस्त को कश्मीर मामले पर बंद दरवाजे में बैठक (Closed-Door Meeting ) हुई।
बैठक में पांच स्थायी सदस्यों और 10 गैर-स्थायी सदस्यों ने भाग लिया।
सूत्रों ने यह स्पष्ट किया कि यह एक अनौपचारिक परामर्श ( consultations ) बैठक है जिसके परिणामों की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की जाएगी।
सन् 1965 के बाद कश्मीर (Kashmir) मुद्दे पर यह बैठक बुलाई गई।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने चीन के आग्रह पर यह बैठक बुलाई।
बैठक से अलग संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत (Ambassador) सैयद अकबरुद्दीन (Syed Akbaruddin) ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट रूप से कहा है कि जम्मू और कश्मीर (Jammu kashmir)को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने का उसका कदम एक आंतरिक मामला था।
अकबरुद्दीन ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को इस वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए।
TV Photo : Syed Akbaruddin
रूस के उप स्थायी प्रतिनिधि दिमित्री पोलांस्की ने बैठक कक्ष में प्रवेश करने से पहले संवाददाताओं से कहा कि मास्को का विचार है कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक ‘द्विपक्षीय मुद्दा’ है।
उन्होंने कहा कि यह समझने के लिए बैठक की जा रही है कि क्या हो रहा है। यही कारण है कि बैठक बंद कमरे में परामर्श के लिए है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति पर रूस चिंतित था।
यह पूछे जाने पर कि क्या परिषद एक उपयोगी भूमिका निभा सकती है, उन्होंने जवाब दिया, ‘हमें पहले चर्चा करने की आवश्यकता है और फिर हम देखेंगे।’
सूत्रों ने कहा कि चूंकि यह एक परामर्श है, कोई भी परिणाम औपचारिक घोषणा नहीं है।
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