नई दिल्ली, 18 मई (जनसमा)। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का गुरूवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 61 साल के थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘उनके निधन से उन्हें बहुत दुख हुआ है और यह उनकी निजी क्षति है।’’ एक अन्य ट्वीट में मोदी ने लिखा, मैं कल शाम को अनिल दवे जी के साथ था, उनके साथ नीतिगत मुद्दों पर चर्चा कर रहा था।”
दवे 2009 से राज्यसभा के सांसद थे और अनेक संसदीय समितियों में उन्होंने पर्यावरण और नदियों के संरक्षण की बात कही।
अनिल माधव दवे का जन्म 6 जुलाई, 1956 को मध्यप्रदेश के बड़नगर में हुआ था। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक थे और उन्होंने विवाह नहीं किया था।
ग्रामीण विकास में उनकी गहरी रुचि थी। उनकी शिक्षा-दीक्षा मध्यप्रदेश में हुई जहां से उन्होंने एम.कॉम किया था।
उन्होंने हिन्दी व अंग्रेजी भाषाओं में अनेक पुस्तकें लिखीं जिनमें ‘सृजन से विसर्जन तक’, ‘महानायक चन्द्रशेखर आजाद’, ‘शताब्दी के पांच काले पन्ने’, ‘रोटी और कमल की कहानी’, ‘शिवाजी एण्ड सूरज, ‘यस आई कैन सो वी कैन’ प्रमुख हैं।
स्व. दवे नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए पिछले कई वर्षों से निरंतर काम कर रहे थे। वे अनेक संस्थाओं से जुड़े हुए थे।
नेताओं और मंत्रियों ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है।
केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने भी ट्वीट कर शोक जताया है। उन्होंने लिखा, “मेरे साथी पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे की अचानक हुई मौत से हैरान और बहुत दुखी हूं। मेरी गहरी संवेदना।”
रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने ट्वीटर पर लिखा कि बहुत दुखी और चौंकाने वाला, अपूरणीय हानि। उन्होंने समाज के लिए वर्षों तक काम किया।
केंद्रीय गृहराज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने ट्वीटर पर कहा, “अनिल माधव दवे जी सज्जन पुरुष की एक दम सटीक परिभाषा थे। वह बहुत अच्छे इंसान थे। मैं उनके मुस्कुराते व्यक्तित्व को हमेशा याद रखूंगा। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।
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