“यूपीए सरकार ने खुद कबूल किया था कि वह औसतन 9000 टेलीफोन कॉल्स और 500 ई–मेल्स को हर महीने इंटरसेप्ट करती है, उसकी निगरानी करती है, आम जनता की भाषा में बोलें तो जासूसी करती है।”
रविवार को भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करले हुए यह दावा किया है भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने।
डॉ पात्रा ने कहा कि 13 जुलाई 2013 को दिल्ली के ही प्रसेनजित मंडल ने एक आरटीआई फ़ाइल की थी और कांग्रेस की तत्कालीन यूपीए सरकार से पूछा था कि कितने ऐसे फोन कॉल्स और ई-मेल्स हैं जिसकी केंद्र सरकार निगरानी करती है, उसे इंटरसेप्ट करती है।
इस आरटीआई का जवाब 6 अगस्त 2013 को कांग्रेस सरकार ने दिया और बताया कि वह औसतन9000 टेलीफोन कॉल्स और 500 ई–मेल्स को हर महीने इंटरसेप्ट करती है।
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस के समय दाखिल किये गए आरटीआई पर यूपीए सरकार के ही जवाब से राहुल गाँधी का झूठ और उनकी झूठी राजनीति का पर्दाफ़ाश हो गया है ।
डॉ पात्रा ने कहा कि दूसरा आरटीआई अमृतानंद देव तीरथ जी का है जिन्होंने 21 नवंबर 2013 को तत्कालीन यूपीए सरकार से पूछा था कि कितनी एजेंसियां हैं और कौन-कौन एजेंसियां हैं जो कॉल डिटेल्स निकाल सकती हैं या उसे मॉनिटर कर सकती हैं।
इसका जवाब कांग्रेस सरकार ने 24 दिसंबर 2013 को दिया था।
इस जवाब में मॉनिटर करने वाली एजेंसियों को सेन्ट्रल एजेंसी और स्टेट एजेंसी के रूप में दो भागों में बांटा गया था ।
इस लिस्ट में 10 एजेंसियों के नाम उल्लेखित किये गए थे। इन एजेंसियों में सेन्ट्रल एजेंसी के रूप में आईबी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, डायरेक्टरेट ऑफ़ इन्फोर्समेंट, सीबीडीटी, डायरेक्टरेट ऑफ़ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, सीबीआई, एनआईए, रॉ, डायरेक्टरेट ऑफ़ सिग्नल इंटेलिजेंस, मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स फॉर जम्मू-कश्मीर, नॉर्थ ईस्ट एंड असम सर्विसेज एरिया ओनली और स्टेट एजेंसी के रूप में डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस ऑफ़ कंसर्न्ड स्टेट/कमिश्नर ऑफ़ पुलिस, दिल्ली (केवल दिल्ली क्षेत्र के लिए) का नाम जवाब में दिया गया था।
डॉ पात्रा ने कहा कि 20 दिसंबर 2018 को गृह मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन में भी उन्हीं दस एजेंसियों के नाम हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि केंद्र सरकार ने वैधानिक तरीके से इसे नोटिफाई कर दिया है ।
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