नई दिल्ली, 26 अगस्त (जनसमा)| सुप्रसिद्ध कथक गुरू पं बिरजू महाराज ने कहा कि वेरोनिक अजान एक होनहार, हंसमुख और सुंदर नृत्यांगना थी। जिन्दगी चुनौतियों का नाम है और न जाने क्या बात हुई कि वह चली गई।
चिन्मय मिशन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में वेरोनिक अजान को याद करते उन्होंने कहा कि फ्रेंच होते हुए भी उसने हिन्दी सीख ली थी । उसे कोई दिक्कत नहीं होती थी। यही उसकी विशेषता भी थी कि खूब रियाज करना और खुश रहना।
श्रद्धांजलि सभा में देश के अनेक जाने माने कलाकार, लेखक, फोटोग्राफर, नर्तक-नृत्यांगनाएं आदि ने वेरोनिक की तस्वीर के सामने पुष्पांजलि अर्पित की और उसे याद किया।
वेरोनिक तीस साल से भी अधिक समय तक कथक के क्षेत्र में शानदार नृत्यांगना के रूप में छायी रही। उन्होंने देश और विदेश के अनेक प्रमुख नृत्य समारोहों में शिरकत की और प्रशंसा बटोरी।
वेरोनिक की मित्र और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की जानी मानी संयोजक साधना श्रीवास्तव ने भीगे और भारी मन से वेरोनिक को याद करते हुए मित्रों और प्रशंसकों द्वारा भेजे गए संदेशों को पढा और कहा कि कभी कभी शब्द और नि:शब्द के बीच सन्नाटा आकर खडा होजाता है…… और वेरोनिक को याद करते हुए स्थिति वैसी ही होगई है।
भारत की आजादी के पचासवीं सालगिरह पर बनाए गए एक कार्यक्रम ‘वन्देमातरम्’ में वेरोनिक ने नृत्य प्रस्तुति दी थी, उसकी कुछ झलकियां भी सभा में दिखाई गई।
वेरोनिक अजान नहीं रही। जब यह खबर अगस्त की दूसरी तारीख को बाली, इण्डोनेशिया से भारत पहुंची तो कथक जगत में सन्नाटा पसर गया। हर किसी के जुबान पर एक ही सवाल था कि ऐसा कैसे हो सकता है। किन्तु होनी को कोई टाल नहीं सकता और कभी कभी अनहोनी ही होनी बन जाती है।
कोई भी उस खबर को कन्फर्म नहीं करना चाहता था किन्तु सोशल मीडिया पर खबर दौड रही थी और वेरोनिक के दोस्तए उसको चाहने वाले, उसके नृत्य को पसंद करने वाले सभी एक दूसरे पूछ रहे थे कि क्या सचमुच में वेरोनिक नहीं रही?
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