शिमला, 6 सितंबर (जस)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बोखटू (कड़छम वांगतू) से काजा-लोसर तक 66 किलोवाट विद्युत ट्रांसमिशन लाईन बिछाने के कार्य में अनावश्यक विलंब पर चिंता जाहिर की है। 66 केवी/22 केवी की ये लाइनें 150 किलोमीटर से अधिक दूरी कवर करते हुए कड़छम से काजा के बीच बिछाई जानी थी, जिससे लाहौल स्पिति तथा किन्नौर जिलों के दूरवर्ती क्षेत्रों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति प्राप्त होनी थी।
मंगलवार को यहां आयोजित राज्य जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन लाईनों पर विद्युत बोर्ड ने लगभग 50 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च कर ली है, लेकिन ट्रांसमिशन लाईन बिछाने की परियोजना अभी तक अधर में लटकी है। हालांकि, कुछ अन्य प्राकृतिक कारणों सहित मौसमी परिस्थितियों के कारण कार्य करने में कुछ बाधाएं आई हैं, लेकिन, क्योंकि यह परियोजना वर्ष 1997 में आरम्भ की गई थी और इसे अब तक पूरा किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि विभाग को प्राकृतिक अवरोध से निपटने के लिए संभावनाओं को देखते हुए भूमिगत तारें बिछाने पर विचार करना चाहिए था।
हालांकि, इसके उत्तर में यह अवगत करवाया गया कि बोखटू से लाईन को वर्ष 2005 में क्रियाशील बनाया गया था, लेकिन वर्ष 2015 में भारी बर्फबारी के कारण अनेक स्थानों पर तारें तहस-नहस हो गईं थी, जिन्हें क्रियाशील बनाकर जनवरी, 2016 में बिजली आपूर्ति को बहाल किया गया। पूह में 66 केवी विद्युत उप-केन्द्र शीघ्र स्थापित किया जाएगा क्योंकि इसकी सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर ली गई हैं। जहां तक अकपा से पूह के बीच कार्य का सम्बन्ध है, यहां 110 टावर स्थापित किए जा चुके हैं तथा अब विद्युत आपूर्ति सामान्य है। पूह से काजा के बीच 107 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाईन बिछाने का प्रस्ताव है, लेकिन इस क्षेत्र में कुछ भू-स्खलन एवं ग्लेशियर प्वांईट हैं। विभाग का ग्लेशियर तथा भू-स्खलन क्षेत्रों को छोड़कर 206 बिजली के खंबे स्थापित करने का प्रस्ताव है जिसमें चांगों से सुमदो (13 कि.मी.), हुरलिंग से पूह (33 कि.मी.), शिलचिंग से लिंगटी (8 कि.मी.) तथा लिदांग से काजा (12 कि.मी.) ट्रांसमिशन लाईनें भी शमिल हैं। इसका सर्वेक्षण कार्य पूरा हो चुका है और प्राक्कलन तैयार किया जा रहा है तथा काजा से लोसर के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी तैयार है।
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