कठिन परिस्थितियों में सेवाएं दे रहे अध्यापकों को सम्मानित किए जाने की ज़रूरत : वीरभद्र

शिमला, 5 सितंबर (जस)। शिक्षक दिवस के अवसर पर अध्यापकों को राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पुरस्कारों के लिए चयन की प्रक्रिया का ज़िक्र करते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि जो अध्यापक स्वेच्छा से राज्य के अति दुर्गम एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें ऐसे मौकों पर सम्मानित किए जाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि प्रायः देखा गया है कि ऐसेकठिन एवं जनजातीय क्षेत्रों में गत अनेक वर्षों से समर्पण भाव से विद्यार्थियों को पढ़ा रहे अध्यापकों का नाम पुरस्कार प्राप्त करने वालों की सूची में नहीं होता। वीरभद्र सोमवार को यहां राजभवन में राज्य स्तरीय शिक्षक दिवस समारोह के अवसर पर बोल रहे थे।

वीरभद्र सिंह ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिये कि शहरी क्षेत्रों में समायोजन के लिए समय व्यर्थ करने वाले अध्यापकों के बजाए दुर्गम क्षेत्रों में कार्य कर रहे शिक्षकों, जो वास्तव में अपनेव्यवसाय के प्रति समर्पित है, की सेवाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन्होंने दुर्गम एवं जनजातीय क्षेत्रों के नामों का ज़िक्र भी किया, जहां से कोई भी अध्यापक पुरस्कार प्राप्त करनेवालों की सूची में शामिल नहीं है। उन्होंने भविष्य में पुरस्कारों के लिए शिक्षकों का नामांकन करते समय ऐसे अध्यापकों की सेवाओं की संस्तुति करने के निर्देश दिये। हालांकि, जिनअध्यापकों को आज सम्मानित किया जा रहा है, यह उनके कठिन परिश्रम एवं समर्पण के कारण है और वे प्रशंसा के पात्र हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश आज केरल के बाद सर्वाधिक साक्षर राज्य है, जहां 88 प्रतिशत साक्षरता दर हासिल कर ली गई है तथा यह अध्यापकों के अपने व्यवसाय के प्रति कड़ेपरिश्रम एवं समर्पण के कारण संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि अध्यापक बच्चों को जीने की कला सिखाते हैं तथा सुगमतापूर्वक पहुंच के साथ सर्वाधिक बुद्धिमान परामर्शक हैं।

श्री वीरभद्र सिंह ने इस दिवस के अवसर पर अध्यापकों की भूमिका तथा शिक्षण के प्रति उनके योगदान के विश्लेषण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज मूल्य आधारितशिक्षा की नितांत आवश्यकता है, जो विद्यार्थियों को भविष्य के प्रयासों में सक्षम बना सके तथा अध्यापकों को उनके विद्यार्थियों की उपलब्धियों से संतोष प्राप्त हो, न कि धनोपार्जन से।उन्होंने सूचना-प्रौद्योगिकी के वर्तमान दौर में नई तकनीकों को अपनाने पर बल दिया।