प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 दिसंबर को वीडियो माध्यम के द्वारा शिवगिरि मठ, वर्कला, केरल में 85 वें शिवगिरि तीर्थयात्रा समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि परम पूज्य स्वामी नारायण गुरु जी जैसी पुण्य आत्मा ने भी जातिवाद, ऊंच-नीच, संप्रदायवाद के खिलाफ समाज को जगाया, समाज को एक किया।
उन्होंने कहा आज शिक्षा के क्षेत्र में सफलता की बात हो,सामाजिक बुराइयों से मुक्ति की बात हो, छुवाछूत के खिलाफ समाज में नफरत का भाव हो, ये ऐसे ही नहीं हुआ है। हम कल्पना कर सकते है कि श्री नारायण गुरु को उस दौर में कितना परिश्रम करना पड़ा होगा, कितनी मुसीबतें उठानी पड़ी होंगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री नारायण गुरु जी का मंत्र था –
- “शिक्षा के माध्यम से स्वतंत्रता,
- संगठन के माध्यम से ताकत
- उद्योगों के माध्यम से आर्थिक स्वतंत्रता। “
मोदी ने कहा कि समाज में सुधार के लिए, दलितों-पीड़ितों-शोषितों-वंचितों को सशक्त करने के लिए उन्होंने ये रास्ता सुझाया था। वो मानते थे कि गरीब-दलित और पिछड़े तभी आगे बढ़ पाएंगे, जब उनके पास शिक्षा की शक्ति होगी। वो जानते थे कि समाज जब शिक्षित होगा, तभी आत्म विश्वास से भरेगा और आत्म-निरीक्षण कर पाएगा। इसलिए उन्होंने सिर्फ केरल ही नहीं बल्कि आसपास के कई राज्यों में शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देने वाली संस्थाएं खड़ी कीं। आज देश-विदेश में श्री नारायण गुरु जी के विजन को आगे बढ़ाने में कितनी ही संस्थाएं जुटी हुई हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री नारायण गुरु ने समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने का काम किया। चमत्कार और ढकोसलों से दूर उन्होंने मंदिरों में सच्चाई, स्वच्छता की बात कही। उन्होंने हर ऐसी पूजा पद्धति को सुधारा जो मंदिर में अस्वच्छता बढ़ाते थे। पूजा-पद्धतियों में जो गैर-जरूरी चीजें शामिल हो गई थीं, उन्हें हटाकर श्री नारायण गुरु ने नई व्यवस्था का रास्ता दिखाया। उन्होंने मंदिरों में पूजा पर हर किसी का अधिकार कायम किया। शिवगिरी तीर्थयात्रा भी एक तरह से समाज सुधार के उनके व्यापक विजन का विस्तार है।
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