हिंदी अकादमी दिल्ली के उपाध्यक्ष, प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, कवि, आलोचक और अनुवादक विष्णु खरे को ब्रेन हेमरेज के बाद बुद्धवार रात दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
डॉक्टरों के अनुसार ब्रेन हेमरेज के बाद उनके शरीर के बाएं हिस्से को लकवा मार गया है। उनकी बीमारी की खबर से साहित्य जगत में चिंता व्याप्त है। अनेक लेखक और पत्रकार उन्हें देखने के लिए अस्पताल पहुंचे।
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में 9 फरवरी 1940 को जन्मे विष्णु खरे इस समय वह हिंदी अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष हैं।
उन्होंने इस पद का कार्यभार इसी साल 30 जून को संभाला था। हिंदी अकादमी का उपाध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद वह मुंबई से दिल्ली चले आए थे।
फोटो : पुस्तक ‘कवि ने कहा, विष्णु खरे’ (हिंदी) पेपरबैक-2008 से साभार
विष्णु खरे का हिंदी और अंग्रेजी भाषा पर समान अधिकार है।
खरे को अनेक सम्मानों और पुरस्कारों से अलंकृत किया जा चुका है।
विष्णु खरे ने अनेक पुस्तकें लिखी हैं उनमें से कुछ के नाम हैं, पिछला बाकी, सब की आवाज के परदे में, स्वप्न और यथार्थ का सृजन, शिखर, प्रतिनिधि कविताएं विष्णु खरे और अन्य कविताएं आदि।
खरे नवभारत टाइम्स के जयपुर, लखनऊ और दिल्ली संस्करण के संपादक भी रहे हैं।
विष्णु खरे जर्मन और कुछ यूरोपीय भाषाओं के अनुवादक के रूप में भी प्रसिद्ध रहे हैं और उन्होंने अनेक विदेशी भाषाओं की पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद किया है।
वह फिल्म क्रिटिक और स्क्रिप्ट राइटर के रूप में भी जाने जाते हैं।
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