नई दिल्ली, 13 फरवरी | सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश में 2008-12 के दौरान एमबीबीएस पाठ्यक्रम में अवैध तरीके से दाखिला पाने वाले 600 से अधिक छात्रों के दाखिले को सोमवार को रद्द करने पर मुहर लगा दी। प्रभावित छात्रों की याचिका को ठुकराते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ तथा न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा ने कहा, “संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत एमबीबीएस पाठ्यक्रम में याचिकाकर्ताओं(मेडिकल छात्रों) के दाखिले को वैधता प्रदान करना सही नहीं होगा।”
छात्रों की याचिका को ठुकराते हुए न्यायालय ने इससे पहले न्यायमूर्ति सप्रे के रुख का संदर्भ दिया, जिसके मुताबिक उन्होंने संविधन के अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय में सीमित असाधारण शक्तियों के माध्यम से उनके दाखिले को बहाल करने से मना कर दिया था।
इससे पहले छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे.चेल्लामेश्वर तथा न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने अलग-अलग फैसले सुनाए थे। दोनों ने ही छात्रों की याचिका ठुकराने के मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था।
मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (व्यापमं) द्वारा छात्रों का दाखिला रद्द करने के बाद छात्रों ने उच्च न्यायालय का रुख किया था। व्यापमं ने प्री-मेडिकल टेस्ट के दौरान नकल करने का हवाला देते हुए उनके दाखिले को रद्द कर दिया था।
उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए न्यायमूर्ति जे.चेल्लामेश्वर तथा न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे ने याचिकाकर्ता छात्रों के भविष्य पर असहमति जताई थी।–आईएएनएस
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