नागपुर, 14 जनवरी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज साफ शब्दों में कहा कि युद्ध और व्यापार एक साथ नहीं रह सकते।
चीन को सीमा विवाद के समाधान के बिना अन्य संबंधों के सामान्य रूप से आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। शनिवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि कूटनीति चलती रहती है लेकिन कई बार मुश्किल हालात का समाधान जल्दबाजी में नहीं होता।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे पर आपसी सहमति नहीं थी और यह निर्णय लिया गया था कि दोनों पक्ष सैनिकों को तैनात नहीं करेंगे और एक-दूसरे को उनकी गतिविधियों के बारे में सूचित नहीं करेंगे।
विदेश मंत्री ने कहा कि पड़ोसी देश ने 2020 में इस समझौते का उल्लंघन किया था।
जयशंकर ने कहा, वह बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ले आए और गलवान की घटना हुई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते।
प्रधानमंत्री की लक्षद्वीप यात्रा के बाद मालदीव विवाद के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि हम पिछले 10 वर्षों में कई सफलताओं के साथ जो करने की कोशिश कर रहे हैं वह एक बहुत मजबूत गठबंधन बनाना है। राजनीति ऊपर-नीचे हो सकती है, लेकिन उस देश के लोग आम तौर पर भारत के बारे में अच्छा महसूस करते हैं और अच्छे संबंधों के महत्व को समझते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत सड़क, बिजली पारेषण लाइन, ईंधन उपलब्ध कराने में लगा हुआ है।
विदेश मंत्री ने कहा, हालांकि, कभी-कभी चीजें सही नहीं होती हैं और लोगों को वहां वापस लाने के लिए उनसे बहस करनी पड़ती है जहां उन्हें होना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और दुनिया में हालिया युद्धों को रोकने में संयुक्त राष्ट्र के असमर्थ होने पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र 1950 और 1960 के दशक में मौजूद था और सुरक्षा परिषद के पांच सदस्य देश दूसरे देशों पर हावी हो रहे थे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए।
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