कवर्धा (छत्तीसगढ़) 29 जून । छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के आदिवासी, बैगा बहुल कबीरधाम (Kabirdham) जिले में इस बार पानी की खेती (water harvesting )की जाएगी।
इसके लिए छोटे-छोटे जल संवर्धन और भूमिगत जल स्त्रोतों को पुर्नजीवित करने वाले काम किये जाएँगे। इससे धरती में नमी बढ़ेगी और जो जल स्त्रोतों के लिए कारगर साबित होगी।
बरसात के पानी को एकत्र करने तीन हजार से अधिक तालाब निर्माण, तलाब गहरीकरण, कुआं निर्माण, डबरी निर्माण और प्राकृतिक जल स्त्रोंतों को पुर्न जीवत तथा निर्मल पानी की उपलब्धता बनाए रखने के लिए झिरिया का पक्कीकरण उसे मजबूत किया गया है।
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के आदिवासी, बैगा बहुल कबीरधाम (Kabirdham) जिला मैकल पर्वत श्रेणी के तलहटी पर बसा हुआ है। पहाड़ों से घिरा यह जिला वृष्टिछाया यानी कम वर्षा वाले जिले के रूप में जाना जाता है।
औसतन यहां कम बारिश(Less rainfall) होती है। हांलांकि यहां पिछले वर्ष औसत से अच्छी बारिश हुई थी। जिसकी वजह से कबीरधाम जिले के पांच मध्यम जलाशयों में पर्याप्त पानी आ गया था। ऐसी स्थिति जिले के 101 लघु जलाशयों (Ponds) में भी है।
कबीरधाम जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी से जोड़कर पानी की खेती (water harvesting ) के इस अभियान में जल संरक्षण, जल संवर्धन और भूमि जल स्त्रोतों को बढ़ाने के लिए पिछले दो वर्षो में छोटे-छोटे लेकिन अनेक महत्वपूर्ण कार्य हुए है।
बरसात के पानी को एकत्र करने तीन हजार से अधिक तालाब निर्माण किये गए। इसके साथ-साथ, तलाबों काी खुदाई कर उन्हें गहरा करने, कुआं खोदने,और प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित कर निर्मल पानी की उपलब्धता बनाए रखने के काम किये गए।
पिछले दो वर्षो में 301 नए तालाब के निमार्ण किये गये हैं। 1061 पुराने तलाबों का गहरीकरण कर जल क्षमता भराव को बढ़ाने का काम किया गया है। नौ सौ से अधिक डबरी निर्माण के कार्य सभी विकासखण्ड में स्वीकृत किए गए है।
इसी तरह 850 से अधिक कुंआ निर्माण के कार्य ज़िले के विभिन्न ग्राम पंचायतों में ग्रामीणों की मांग पर स्वीकृत किए गए हैं।
वनांचल क्षेत्रों में वनवासियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 60 से अधिक झीरिया का जीर्णोद्धार किया गया है। कुंआ एवं झीरिया से पेयजल व्यवस्था ग्रामीण इलाकों में और मजबूत हुई है।
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