शिमला, 16 सितंबर (जस)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि सभी भाषाओं की उत्पति संस्कृत से हुई है और सभी ग्रंथ, वेद, पुराण तथा महाकाव्य संस्कृत में लिखे गए हैं, और भारतीय होने के नाते हमें इस पर गर्व होना चाहिए। वीरभद्र गुरूवार को राजकीय संस्कृत महाविद्यालय सोलन में ‘संस्कृत का राष्ट्र व समाज के विकास में योगदान’ विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत कार्यशाला के अवसर पर बोल रहे थे।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि विदेशी भी संस्कृत भाषा व इसके इतिहास को अच्छी तरह समझने के लिए भाषा में गहरी रूचि दर्शाते हैं तथा मूल संस्कृत ग्रंथों का अनुसंधान करते हैं, क्योंकि इनमें प्राचीन समय के विचार एवं रहस्य छिपे हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत का अध्ययन आज पश्चिमी दुनिया में विदेशी भाषा के तौर पर किया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत के महान ग्रंथों एवं महाकाव्यों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है, लेकिन इसके मूल स्वरूप का अपना ही महत्व है।
वीरभद्र सिंह ने युवाओं की भाषा में घटती रूचि पर चिंता जाहिर की तथा पारम्परिक भारतीय भाषाओं में और अधिक अध्ययन एवं अनुसंधान के लिए उनका आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी संस्कृत ज्ञाताओं को इस पर चिंतन व विवेचन करना चाहिए कि भाषा के विकास के लिए क्या किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिवद्ध है, और स्कूलों में संस्कृत को छठी से आठवीं कक्षा तक अनिवार्य बनाया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में तुंगेश संस्कृत कालेज का अधिग्रहण किया है।
वीरभद्र ने कहा कि उनकी इच्छा है कि राज्य के प्रत्येक जिले में संस्कृत महाविद्यालय अथवा संस्थान होने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार संस्कृत में उच्च शिक्षा के इच्छुक किसी भी विद्यार्थी को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
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