भोपाल, 09 मार्च (जनसमा)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में विधवा महिलाओं को पेंशन स्वीकृति में अब बीपीएल होने की शर्त नहीं रहेगी। उनको ‘कल्याणी’ के नाम से संबोधित किया जाएगा। राज्य की कल्याणकारी योजनाओं में प्राथमिकता देने के साथ ही उनकी ऊर्जा और शक्ति का प्रदेश के कल्याण और दूसरों की बेहतरी में भी उपयोग किया जाएगा। चौहान बुधवार को यहाँ नारायणी नम: कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर जीवन की विपरीत परिस्थितियों के साथ संघर्ष कर मुकाम बनाने वाली हर उम्र की 10 महिलाओं और तीन महिला अधिकारियों को सम्मानित किया।
फोटो : “नारायणी नम:” कार्यक्रम के दौरान शिवराज सिंह चौहान।
उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बुधवार सुबह विधानसभा में आयोजित राज्यस्तरीय समारोह में महिला-बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस ने महिलाओं के सशक्तिकरण और सकारात्मक छवि के लिए समाज से ‘विधवा’ शब्द के चलन को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया था।
चौहान ने कहा कि महिलाओं ने हर चुनौती का सफलतापूर्वक सामना कर यह दिखा दिया है कि अब महिलाएँ अबला नहीं सबला है। उनमें बुद्धिमत्ता, संकल्प और प्रतिबद्धता की कोई कमी नहीं है। अवसर मिले तो वे दूसरों का भी जीवन रोशन कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया है। बेटियाँ परिवार पर बोझ नहीं रहे। उनका सशक्तीकरण करने के लिये अनेक योजनाएँ बनाई गई हैं। चौहान ने कहा कि राज्य सरकार दुराचारियों को मृत्युदंड देने संबंधी कानून का प्रारूप बनाकर राष्ट्रपति को भेजेगी।
इस पहल पर अर्चना चिटनिस ने मुख्यमंत्री चौहान का आभार जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने एक बार फिर महिलाओं के प्रति अपनी संवेदनशीलता और सम्मान के भाव को व्यक्त किया है। उनका यह कदम महिलाओं की समाज में समान भागीदारी और सशक्तिकरण में सहायक होगा।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री कन्या विवाह, लाड़ली लक्ष्मी और तेजस्विनी योजनाओं के प्रथम हितग्राहियों और बालिकाओं के समूह ने मुख्यमंत्री से भेंट की। बालिकाओं ने महिला के साथ दुराचार करने वाले विकृत मानसिकता के अपराधियों को मृत्युदंड देने का ज्ञापन सौंपा।
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