गर्मियों के मौसम में छत्तीसगढ़ सरकार वन्यजीव wildlife संरक्षित इलाकों के आसपास तालाब, चेक डेम और अन्य तरीकों से पीने के पानी drinking water की व्यवस्था कर रही हैं।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक Chief conservator of forests राकेश चतुर्वेदी ने रायपुर में मंगलवार को बताया कि वन्यजीव संरक्षित इलाकों के आसपास जलस्त्रोत उपलब्ध कराने के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 में एनीकट, मिट्टी से मेढ़ बनाकर पानी रोकने, प्राकृतिक जलस्रोतों के प्रवाह को बनाये रखने, सोलर पंप से पानी इकट्ठा करने , तालाब और चेक डेम बनाने पर लगभग 21 करोड़ रुपया खर्च किया गया है।
भोरमदेव अभ्यारण्य sanctuary में 100 अस्थाई वॉटरहोल निर्माण किया गया है।
इस साल भी वन्यजीव संरक्षित इलाकों में वॉटरहोल स्ट्रक्चर की व्यवस्था को सुचारू बनाये रखने के लिए अनेक निर्माण कार्य किये जाएंगे।
छत्तीसगढ़ राज्य में वन्य प्राणियों wildlife के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए 14 संरक्षित क्षेत्र बनाये गये हैं जिसमें 3 टायगर रिजर्व, 2 राष्ट्रीय उद्यान तथा 8 अभ्यारण्य गठित हैं।
इसके अतिरिक्त मुंगेली एवं बिलासपुर जिले में 01 बायोस्फियर रिजर्व अचानकमार-अमरकंटक अधिसूचित है।
राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल 1,35,191 वर्ग कि.मी. है। प्रदेश के वन्यजीव संरक्षित इलाकों का कुल क्षेत्रफल 11,310.977 वर्ग किलोमीटर है, जो राज्य के कुल वनक्षेत्र 59,772 वर्ग किलोमीटर का 18.92 प्रतिशत है।
यह राज्य के कुल कार्य योग्य वन क्षेत्रफल का लगभग 20 प्रतिशत है।
संरक्षित क्षेत्रों में वन्यप्राणियों wildlife की पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने हेतु विगत 10 वर्षों में तालाब निर्माण, स्टॉप डेम, एनीकट, बोल्डर चेकडेम, वॉटरहोल, सॉसरपीट, झिरिया, गहरीकरण कार्य, प्राकृतिक जलस्रोतों का विकास से संबंधित लगभग 780 कार्य कराये गये हैं, जिनसे वन्यप्राणियों को पेयजल प्राप्त होता है।
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