नई दिल्ली, 8 मई (जनसमा)। इस साल 27 जुलाई को वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी रिटायर हो जाएंगे। इससे पहले देश को नया राष्ट्रपति चुनना होगा। राजनीति के हलकों में इस बात की चर्चा है कि क्या देश को मध्यप्रदेश दूसरा राष्ट्रपति देगा ? याद रहे, मध्यप्रदेश से पहले राष्ट्रपति बने थे स्व. शंकर दयाल शर्मा।
कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राष्ट्रपति पद के लिए समुचित नेता को चुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिन नामों की मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा है उनमें लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार, महात्मा गांधी के पोते गोपाल गांधी और नोबल पुरस्कार विजेता विख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन हैं।
दूसरी ओर लोकसभा की वर्तमान अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की चर्चा भी गंभीरता से हो रही है। ऐसी चर्चा भी सुनी गई है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भी ‘रिपीट’ करना चाहते थे लेकिन समझा जाता है कि प्रणव दा ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देकर मना कर दिया।
राजनीतिक दृष्टि से भाजपा को 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद जो बहुमत मिला उसके बावजूद राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जिताने के लिए आवश्यक मतों की कमी हो रही है। लोकसभा में भाजपा को 2 तिहाई बहुमत है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, असम, उत्तराखण्ड आदि में भाजपा ने झंडे गाड़ रखे हैं और इन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं।
दूसरी तरफ, सभी विपक्षी दल जिसमें कांग्रेस भी है महागठबंधन की जोड़-तोड़ में लगे हुए हैं। विपक्षी दल चाहते हैं कि भाजपा के विजय रथ को वे रोकें। मायावती, अखिलेश, वामपंथी दल और तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियां भाजपा को फूटी आंखों देखना नहीं चाहतीं।
मीडिया में हो रही चर्चा के अनुसार कांग्रेस क्षेत्रीय दलों पर डोरे डाल रही है। इनमें जगनमोहन रेड्डी की पार्टी और तमिलनाडु की डीएमके और एआईएडीएम भी हैं। भाजपा विरोधी पार्टियों में नीतीश कुमार, शरद यादव और शरद पवार भी अपने पत्ते खेल रहे हैं। देखना यह है कि देश को कौन सा राज्य है जो राष्ट्रपति देगा।
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