high speed train

काश कि चीन जैसी हाई स्पीड ट्रेन भारत में चले

V K mishra

वी के मिश्रा

नई दिल्ली, 16 जुलाई (जनसमा)।  भारत में हाई स्पीड ट्रेन का सपना कब साकार होगा, यह तो सरकार ही बता सकती है किन्तु हाल ही में चीन की यात्रा से लौटे वी के मिश्रा का कहना है कि जिस तरह की आधुनिकतम, सुविधाजनक और व्यवस्था वाली हाई स्पीड ट्रेन चीन में चल रही है वैसी भारत में चलना अपने आपमें चमत्कार ही होगा।  उन्होंने कहा  “काश कि चीन जैसी हाई स्पीड ट्रेन भारत में चले। ”

इण्डिया चाइना ट्रेड सेंटर के चेयरमैन मिश्रा ने हाल ही में चीन में शंघाई से बीजिंग तक की यात्रा हाईस्पीड ट्रेन के प्रथम श्रेणी में की थी। उनका कहना है कि ट्रेन में जिस तरह की सुविधा और सेवा मिलती है, उसकी कल्पना बिना यात्रा किये नहीं की जसकती।

उन्होंने कहा मेरे साथ यात्रा कर रहे एक अमरीकन पर्यटक परिवार ने बताया कि यह दुनिया की सबसे शानदार सुविधाओं वाली  हाई स्पीड ट्रेन है। अगर इस रेल में आपने यात्रा नहीं की तो समझिये कि आप रेल में बैठे ही नहीं है।

मिश्रा ने बताया कि अधिकतम 305 किमी रफ्तार वाली यह ट्रेन जब दौड़ रही होती है तो आपको अहसास ही नहीं होता है कि आप सफर कर रहे हैं। भोजन और खाने पीने की ताजा और उच्चकोटि के फल आदि सहज ही उपलब्ध कराये जाते हैं।

High speed Train

हाई स्पीड ट्रेन में एक यात्री

“मैंने लेडी अटेण्डेन्ट से शाकाहारी भोजन की मांग की। पहले वह चैंकी फिर उसने कुछ क्षण सोचा और रेल की पेन्ट्री में शेफ से बात की। फिर अटेण्डेंट ने मुझे बताया कि 15 मिनिट में आपको शाकाहारी भोजन मिल जाएगा। ठीक 15 मिनट बाद मेरे सामने शाकाहारी भोजन था । उसमें टोफू, तीन चार तरह की तरकारियां, ब्रेड और बन आदि थे। साथ ही पर्याप्त मात्रा में सलाद भी परोसा गया था। एक हिन्दुस्तानी वेजिटेरियन के लिए यह भोजन जश्न की तरह था”–मिश्रा जी ने कहा।

इसके अलवा मिश्रा ने नेनजिंग से शंघाई के बीच भी हाईस्पीड ट्रेन में इकाॅनोमी क्लास में यात्रा की। एक घंटे की वह यात्रा भी यादगार थी और सुविधाओं और सेवा में किसी तरह की कमी नहीं थी।

उन्होने बताया कि वे पिछले 18-20 सालों से व्यापार के सिलसिले में चीन आते-जाते रहते हैं। भारत से भी अधिक आबादी वाले उस देश में सन् 2001-02 में परिवहन की हालत अच्छी नहीं थी। तब होनझाउ से शंघाई की यात्रा बस में की थी और वह भी स्टूल पर बैठकर। इतना ही नहीं ट्रेन यात्रा भी सुविधाजनक नहीं थी । भारतीय पेसैंजर रेलों की तरह उसके काचेज की हालत थी और यात्री सफर करते हुए कोचेज को गंदा कर देते थे। ढेर सारे मूंगफली के छिलके किसी भी कोच में नीचे पड़े हुए मिल जाते थे। किन्तु अब हालात बदल चुके हैं । स्टेशन पर बिना यात्रा टिकिट के प्रवेश निषेध है। सफाई की बात करें तो वह ए क्लास है।