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कृषि में महिलाओं का योगदान करीब 32 प्रतिशत

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (जनसमा)।  विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार भारतीय कृषि में महिलाओं का योगदान करीब 32 प्रतिशत है, जबकि कुछ राज्यों खासकर पहाड़ी, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र तथा केरल में महिलाओं का योगदान कृषि तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पुरुषों से भी ज्यादा है।

भारत के 48 प्रतिशत कृषि से संबंधित रोजगार में औरतें हैं जबकि करीब 7.5 करोड महिलाएं दुग्ध उत्पादन तथा पशुधन व्यवसाय से संबंधित गतिविधियों में सार्थक भूमिका निभाती हैं।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह का कहना है कि महिलाओं को अच्छा अवसर तथा सुविधा मिले तो वे देश की कृषि को द्वितीय हरित क्रांति की तरफ ले जाने के साथ देश के विकास का परिदृश्य भी बदल सकती हैं।

कृषि मंत्री ने यह बात रविवार को नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय महिला किसान दिवस के अवसर पर कही।

जनसमा की टिप्पणी मंत्री महोदय का कहना सही है किन्तु यह करना भी तो उन्हीं को है। फिर वे किस बात का या सिगनल का इंतजार कर रहे हैं।

कृषि में महिलाओं की अहम भागीदारी को ध्यान में रखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 1996 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत केंद्रीय कृषिरत महिला संस्थान की स्थापना भुवनेश्वर में की थी। यह संस्थान कृषि में महिलाओं से जुड़े विभिन्न आयामों पर कार्य करता है ।

इसके अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 100 से अधिक संस्थानों ने कई तकनीकियों का सृजन किया ताकि महिलाओं की कठिनाईयों को कम कर उनका सशक्तिकरण हो।

File photo : Women farmers plough the fields due to lack of rains in Lucknow on Sep 18, 2015. (Photo: IANS)

देश में 680 कृषि विज्ञान केन्द्र हैं। हर कृषि विज्ञान केन्द्र में एक महिला वस्तु विशेषज्ञ (गृह विज्ञान) है। वर्ष 2016-17 में महिलाओं से संबंधित 21 तकनीकियां का मूल्यांकन किया गया और 2.56 लाख महिलाओं को कृषि संबंधित क्षेत्रों जैसे सिलाई, उत्पाद बनाना, वेल्यू एडिशन, ग्रामीण हस्तकला, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, पोल्ट्री, मछली पालन आदि का प्रशिक्षण दिया गया।

इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रमुख योजनाओं/कार्यक्रमों और विकास संबंधी गतिविधियों के अंतर्गत महिलाओं के लिए कम से कम 30% धनराशि का आवंटन सुनिश्चित किया है।