मनोज पाठक ===पटना, 19 नवंबर | बिहार में कई वर्षो तक एक-दूसरे के विरोधी रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल (युनाइटेड) एक साल पूर्व बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार महागठबंधन की छतरी तले चुनाव मैदान में उतरे। मतदाताओं ने इस गठबंधन को पसंद भी किया और उनकी सरकार भी बनी। राजद, कांग्रेस और जद (यू) के महागठबंधन की सरकार के एक साल पूरे होने पर उसकी उपलब्धियों में मुख्य रूप से शराबबंदी सामने आई है।
हालांकि पिछले एक साल में महिला सशक्तिकरण तथा सात निश्चय के तहत विकास कार्यक्रम भी सरकार की उपलब्धियों में शामिल हैं, लेकिन राजद और जद (यू) की कार्यशैली भिन्न होने के कारण दोनों दलों के रिश्ते में असहजता भी देखने को मिलती रही है।
पिछले वर्ष 20 नवंबर को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की पुन: शपथ ली थी। महागठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के तत्काल बाद नीतीश सात निश्चयों में शामिल विकास योजनाओं को सरजमीं पर उतारने में जुट गए। इसी दौरान मुख्यमंत्री ने कड़े प्रावधानों के साथ बिहार में शराबबंदी कानून भी लागू किया।
बड़े राजस्व घाटे के बावजूद व्यापक सामाजिक लाभ के मद्देनजर यह एक क्रांतिकारी निर्णय के तौर पर देखा जा रहा है और राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश कुमार की छवि मजबूत हुई है।
शराबबंदी के बाद निश्चित तौर पर नीतीश सरकार ने महिलाओं का दिल जीत लिया है। हालांकि इस कानून के दुरुपयोग और जहरीली शराब से मौतों ने इसके मार्ग में चुनौतिया भी पेश की हैं। इसके अलावा नशा मुक्ति केंद्र खोलने के फैसले तो लिए गए हैं, किंतु इस दिशा में अभी तक ठोस प्रयास नहीं हुए हैं।
उधर, महिला सशक्तिकरण के तहत बिहार की सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को भी सरकार की उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। इसी साल 18 जनवरी को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने का फैसला किया गया।
राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर भी मानते हैं कि शराबबंदी और सरकारी नौकरी में महिलाओं को आरक्षण देना सरकार की प्रमुख उपलब्धियां हैं। उन्होंने कहा, “इन दोनों फैसलों का दूरगामी सकारात्मक असर होगा।”
इस बीच हालांकि कई मामलों को लेकर राजद और जद (यू) आमने-सामने भी नजर आए। केंद्र सरकार की नोटबंदी का फैसला हो या सर्जिकल कार्रवाई, दोनों मामलों में जद (यू) केंद्र सरकार के साथ खड़ा रहा, लेकिन राजद ने इन दोनों फैसलों का विरोध किया।
इस बीच, राजद उपाध्यक्ष और वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश और सरकार के कई फैसलों पर प्रश्न भी खड़े किए।
बहरहाल, इस एक साल में महागठबंधन की सरकार में नीतीश ने अपनी पुरानी कार्यशैली और छवि पर आंच नहीं आने दी है। यही कारण है कि राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन और विधायक राजबल्लभ यादव को अलग-अलग मामलों में उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद सरकार ने इनकी जमानत रद्द कराने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
सरकार का एक साल पूरा होने पर रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सरकार का रिपोर्ट कॅार्ड जारी करेंगे। –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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