– बी भट्ट, जनसमाचार ब्यूरो
लोक नर्तक महेन्द्र सिंह कमाल का नाच करते हैं, वह भी घोड़ी और ऊंट की पीठ पर। नवलगढ़ के सूर्यमण्डल मैदान पर माेरारका फाउण्डेशन के सहयोग से 16 से 18 फरवरी के बीच आयोजित शेखावाटी उत्सव 2018 में इस बार दर्शकों ने घोड़ी और ऊंट नृत्य का कमाल देखा किन्तु वाह वाही लूटी महेन्द्र सिंह ने।
महेन्द्र पिछले कई सालों से युवती की पोशाक पहनकर और श्रृंगार करके ऊंट और घोड़ी के साथ नृत्य करते हैं। उन्हे नाचता देखकर अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। उनकी अदाएं, हावभाव, भंगिमाएं यह अहसास ही नहीं होने देती हैं कि वे एक नौजवान हैं।
महेन्द्र नाचते समय साइकिल की रिंग सिर पर रखकर चक्कर लेते हैं और वह देखते ही बनती है। इतना ही नहीं दो-दो, तीन-तीन चारपाई एक के ऊपर एक रखकर, घोड़े और ऊंट को चारपाई पर चढ़ाकर जिस प्रकार नाचते हैं, वह देखने की बात है। महेंद्र की बाॅडी को बैलेंस रखने की कमाल की कला है। उनके साथी सुरेश भी कम नहीं हैं। उनकी अदाएं और संतुलन भी देखते ही बनता है।
दिल्ली से शेखावाटी उत्सव कवर करने गए पत्रकारों को नवलगढ़ के सूर्यमण्डल मैदान पर महेन्द्र ने बताया कि उन्होंने अर्थशास्त्र में एमए किया है किन्तु वे फिटर बनना चाहते हैं और इसके लिए आईटीआई में प्रशिक्षण लेरहे हैं। उनके साथी सुरेश 8वीं कक्षा तक पढ़े हैं किन्तु कमाल का काम करते हैं। दोनों की जोड़ी मेलों,शादियों और उत्सवों में धूम मचाती रहती है।
माेरारका फाउण्डेशन के सहयोग से आयोजित शेखावाटी उत्सव की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इससे राजस्थान के लोक कलाकारों को न केवल मंच मिलता है बल्कि उनका आगे बढ़ने का हौंसला भी बना रहता है।
बिना किसी सरकारी प्रोत्साहन के ये राजस्थानी कलाकार सम्मानपूर्वक अपने पैरों पर खड़े हैं, ठीक ठाक कमाई कर रहे हैं किन्तु सबसे बड़ी बात राजस्थान की लोक कला को जीवंत बनाए हुए हैं।
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