महिला चालक दल के नेतृत्व में संसार की “नाविका सागर परिक्रमा” के लिए भारतीय नौ सेना के पोत वाहक जहाज तरिणी (आईएनएसवी तरणी) को रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने रविवार को दोपहर 1 बजे गोवा से झंडी दिखाकर रवाना किया।चालक दल के पास 1 9 000 समुद्री मील के नौकायन अनुभव है, जिसके दौरान उन्होंने मजबूत नाविक कौशल का प्रदर्शन किया है।
आईएनएसवी तरिणी 55 फुट का जलयान है इसे स्वदेशी तकनीक से बनाया गया है। इसे इसी वर्ष के आरंभ में भारतीय नौ सेना में शामिल किया गया है। विश्व के फॉरम पर यह ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल को प्रदर्शित करता है। आईएनएसवी तरिणी के दल में कप्तान लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी एवं क्रू सदस्यों में लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जामवाल, पी. स्वाति, लेफ्टिनेंट एस. विजयादेवी, लेफ्टिनेंट बी. ऐश्वर्या एवं लेफ्टिनेंट पायल गुप्ता शामिल हैं।
समुद्र यात्रा के दौरान चालक दल गहरे समुद्र में प्रदूषण की जांच करेगा और इस संबंध में रिपोर्ट देगा समुद्री सेलिंग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न बंदरगाह पड़ावों पर स्थानीय पी.आई.ओ. के साथ व्यापक विचार-विमर्श भी करेगा।
इस दौरान यह साहसिक दल भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमबी) को मौसम के पूर्वानुमान की सही जानकारी प्रदान करने के लिए मौसम विज्ञान/समुद्री/लहरों के बारे में नियमित रूप से आंकड़े इकट्टा करेगा और उन्हें लगातार नवीन जानकारी भी उपलब्ध कराएगा। इससे अनुसंधान और विकास संगठनों को विश्लेषण में भी मदद मिलेगी।
इस अभियान का विषय ‘नाविका सागर परिक्रमा’ रखा गया है यह महिलाओं का उनकी अंतनिर्हित शक्ति के जरिए सशक्तिकरण किए जाने की राष्ट्रीय नीति के अनुरूप है। इसका उद्देश्य भारत में महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण और सोच में बदलाव लाना है। समुद्री यात्रा में पर्यावरण हितैषी गैर परपंरागत ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना भी है।
समुद्री यात्रा की समाप्ति के बाद इस जहाज के अप्रैल, 2018 में वापस गोवा लौटने की आशा है। यह अभियान पांच चरणों में पूरा होगा। यह आस्ट्रेलिया के फ्रीमेनटेली, न्यूजीलैंड लाइटलेटन, पोर्टसिडनी के फॉक् लेंड्स और दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन आदि चार बंदरगाहों पर रूकेगा।
इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर नौ सेनाअध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल ए.आर.करवे, दक्षिणी नौ सेना कमान के कमांडर-इन-चीफ वाइस एडमिरल आर.हरि कुमार और नौ सेना के सेवानिवृत्त एवं सेवारत अधिकारियों के साथ-साथ सिविलियन गणमान्य व्यक्तियों, क्रू चालक दल एवं सेलर्स के पारिवारिक सदस्य भी मौजूद थे।
इस अवसर पर आयोजित समारोह में रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘यह दिन हमारे देश के इतिहास का ऐतिहासिक दिवस है। यह विश्व के नौपरिवहन इतिहास में दर्ज होगा आज विश्व के समक्ष हमारी महिलाएं उस कार्य का संचालन कर रही है जिसके बारे में विश्व की अधिकतर नौसेना सोच भी नहीं पाती है‘।
निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि ‘इस पहल के लिए मैं भारतीय नौ सेना की प्रशंसा और अनुभवी परामर्शताओं और प्रेरकों की सराहना करती हूं जिन्होंने इन साहसी और निर्भीक महिलाओं को प्रेरणा दी और प्रशिक्षण दिया।’
उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक महत्वपूर्ण अवसर पर मौजूद होना मेरे लिए गर्व की बात है। मैं चालक दल की महिला सदस्यों को सफलता की शुभकामनाएं देती हूं।
नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा ने भारतीय नौसेना की समुद्री यात्रा अभियानों की शानदार परंपरा पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि 1988 में ‘समुद्र अभियान के साथ’ इसका शुभारंभ हुआ था। इस ऐतिहासिक समुद्र यात्रा की शुरूआत पहली बार अकेले कैप्टन दिलीप डोंडे (सेवानिवृत्त) ने की थी।
इसके साथ कमांडर अभिलाष डोमी ने संसार की जलयात्रा में नौ राष्ट्रों को जलमार्ग के जरिए बिना रूके साहस के साथ पूरा किया था। उन्होंने कहा कि सभी महिला क्रू का यह अभियान पहले के प्रयासों विस्तारित रूप है। यह महिला सशक्तिकरण-‘‘नारी शक्ति’’ दिशा में किए जा रहे सरकार के प्रयासों का प्रतिबिंब है।
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