शिमला, 10 फरवरी (जनसमा)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा है कि जैव विविधता में गिरावट रोकने और लोगों को जैविक विरासत को संरक्षित करने के लिए समर्थ बनाने से लोगों के जीवन में खुशहाली आएगी। उन्होंने कहा कि विश्व के 70 प्रतिशत निर्धन ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं तथा जैव विविधता पर निर्भर हैं।
वीरभद्र सिंह ने राज्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड (एचपीएसबीबी) द्वारा ‘जैव विविधता को मुख्यधारा में लानाः लोगों और उनकी आजीविका को कायम रखना’ विषय पर यहां आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जैव विविधता जीवन का आधार है। पारिस्थितिकी से मिलने वाली आवश्यक सेवाओं को ध्यान में रखते हुए सरकारें केवल संरक्षण ही नहीं बल्कि सतत आर्थिक विकास के लिए जैव विविधता की ओर विशेष ध्यान दे रहीं हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों द्वारा अरक्षणीय उपभोग के चलते जैव विविधता प्रभावित हो रही है। जैव विविधता में गिरावट मानव विकास के लिए गंभीर चेतावनी है तथा हमें प्राकृतिक संसाधनों के विध्वंस, फसलों की अत्याधिक कटाई, प्रदूषण इत्यादि पर रोक लगाना चाहिए। सभी को एकजुट होकर अपने प्रयासों से इन प्रचलनों को खत्म करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि अधिनियम के अंतर्गत संरक्षण, जैविक स्त्रोतों का उपयोग तथा व्यावसायिक या अनुसंधान उद्देश्यों के लिए भारत में घटने वाली संबंधित जानकारी या जैविक सर्वेक्षण तथा जैविक उपयोग के उद्देश्य शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने पंचायत प्रतिनिधियों से उनकी संबंधित पंचायतों में जैव विविधता प्रबंधन समितियां संगठित करने पर बल दिया। राज्य सरकार ऐसी पंचायतों को 60,000 रुपये की राशि प्रदान करेगी, ताकि जैव विविधता अधिनियम प्रभावी रूप से लागू किया जा सके तथा जैव विविधता रजिस्टर को सही रूप से तैयार किया जा सकता है।
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