इस समय भारतीय रुपये में सबसे बड़ी गिरावट आई है। यह अब तक के अपने सबसे कम लेवल पर यानी एक डॉलर के मुकाबले
₹71. 58 पैसे हो गया है।
इस साल के 8 महीने में रुपए में डाॅलर के मुकाबले 12 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि रुपए में अभी और गिरावट आएगी और यह एक डॉलर के मुकाबले 74 रुपए तक पहुंच सकती है।
आर्थिक विशेषज्ञ इससे ज्यादा नीचे गिरने की उम्मीद नहीं करते हैं।
अगर सरकार की माने और सच्चाई भी है कि अमेरिका, चीन और कनाडा के बीच चल रहे ट्रेड वाॅर के कारण ऐसा हो रहा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में हो रहे आर्थिक उत्तल पुथल के कारण ही रुपये में गिरावट आ रही है। ऐसा सरकार और कुछ विशेषज्ञों का मानना है।
आर्थिक समाचारा पत्रों के अनुसार इस सच्चाई से भी आंख नहीं मूंद सकते कि इस साल में अब तक विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से 28 करोड डॉलर निकाल चुके हैं।
दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है।
सरकार का कहना है कि रुपया कमजोर हो रहा है, यह ग्लोबल इफेक्ट है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कोई मदद नहीं कर रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकार को भरोसा है कि यह गिरावट अपने आप ठीक हो जाएगी स्टेबल हो जाएगी।
मंगलवार को भारतीय बाजार में रुपया एक डालर के मुकाबले अपने रिकॉर्ड लो लेवल ₹71 58 पैसे पहुंच गया था।
अगर अंतरराष्ट्रीय बाजारों की स्थिति देखें तो पता चलेगा कि दुनिया की अनेक करेंसी जैसे अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, ब्राजील , दक्षिण अफ्रीका की करेंसी में भी गिरावट आई है।
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पेट्रोल डीजल पर बढ़ी हुई महंगाई से लोगों को राहत नहीं देगी यानी ड्यूटी नहीं हटाएगी।
आर्थिक विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि रुपए में अभी और गिरावट आएगी।
बाजार की माने तो रुपए में गिरावट का एक बड़ा फायदा यह भी हो रहा है कि विदेशी पर्यटक भारत आने के लिए बहुत उत्सुक हैं और उनमें काफी बढ़ोतरी होने की संभावना है।
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