मुख्यमंत्री पद की तड़प और सत्ता की भूख ने महाराष्ट्र (Maharashtra ) में जनादेश (mandate) के बावजूद भाजपा (BJP) और शिव सेना (Shiv Sena) की सरकार (Government) नहीं बनने दी।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को 8 नवंबर,2019 की शाम अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया।
इसके बाद दोनों दलों के बीच टीका टिप्पणी का दौर जारी है और जनता अपने नेताओं को तमाशबीन की तरह देख रही है।
वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो रहा है।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इसके लिए शिव सेना ही जिम्मेदार मानी जाएगी। जबकि कुछ का यह भी कहना है कि चुनाव पूर्व दोनों दलों में क्या बातचीत हुई उसे जाने बिना किसी एक दल को आरोपित नहीं किया जासकता।
भाजपा (BJP) और शिव सेना (Shiv Sena) ने साथ चुनाव लड़ा था और दोने दल मिलकर महाराष्ट्र (Maharashtra) में आसानी से सरकार (Government) बना सकते थे और जनादेश (mandate) भी यही है।
TV Photo Uddhav Thackeray and Devendra Fadanvis
महाराष्ट्र विधानसभा के अक्टूबर में हुए चुनाव के बाद 288 सदस्यों वाली विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी को 105 सीटेंं तथा सहयोगीी दल शिवसेना को 56 सीटों पर सफलता मिली।
शिव सेना (Shiv Sena) का कहना है कि भाजपा(BJP) के साथ चुनाव में जाने से पहले ढाई -ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद को साझा करने के लिए बात हुई थी इसलिए इस बार मुख्यमंत्री शिव सेना का ही बनेगा।
इन परिस्थियों में लगता है कि यदि सरकार (Government) नहीं बनी तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का रास्ता धीरे धीरे साफ होता जा रहा है।
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