योगाचार्य ढाकाराम जी (Yogacharya Dhakaramji) का कहना है कि चित्त की शुद्धि के लिए योग साधना जरूरी है।
नई दिल्ली में ‘जनसमाचार’ से बात करते हुए योगाचार्य ने कहा कि ज्यादातर लोगों की स्थिति यह है कि तन तो शांत है किन्तु मन भाग रहा है। होना चाहिए, तन भागे, मन शांत रहे।
अनेक युवा मानसिक तनाव और अशांति से पीड़ित हैं। इन्हें तनाव मुक्त और शांत रहने के लिए क्या करना चाहिए?
योगाचार्य ने कहा ‘‘मन अन्दर से शांत होना चाहिए। यह ठीक है कि आप दुनियादारी कर रहे हैं लेकिन आप तनाव मुक्त नहीं हुए तो लक्ष्य कैसे प्राप्त करेंगे। तो इसके लिए जरूरी है कि योग साधना करें। साधना नहीं करेंगे तो वह इफेक्ट नहीं आएगा जो आप चाहते हैं।”
योगपीस संस्थान (Yogapeace Sansthan) और योगाटीचर्स ट्रेनिंग अकादेमी ‘एकम योगा’, जयपुर के प्रमुख योगाचार्य ढाकारामजी ने अब तक दुनियाभर से आए एक लाख से अधिक समूहों को योग का प्रशिक्षण दिया है।
योगपीस संस्थान ‘एकम योगा’ (Ekam Yoga) बैनर के अंतर्गत प्रशिक्षण देकर योग शिक्षक तैयार करता है। योग सीखने और कॅरियर बनाने के इच्छुक लोगों के लिए तीन स्तर के पाठ्यक्रम तैयार किये गए हैं।
योगाचार्य ढाकारामजी (Yogacharya Dhakaramji) ने कहा कि जो कुछ सीखा है या कुछ आता है उसको साधना नहीं कहते हैं। निन्नानवे प्रतिशत लोग सिर्फ सिखाते हेैं। जब तक साधना नहीं करेंगे वह चीज अंदर से निखरेगी नहीं।
उन्होंने कहा कि आज सुबह ही नेचरोपेथी में मैंने लोगों से पूछा कि आप नेचरोपेथी क्यों कर रहे हो तो कुछ कहते हैं सिखाने के लिए, हेल्थ के लिए, इसके लिए, उसके लिए लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कमाने के लिए करता हूँ वो भी बोलते हैं। ताज्जुब इस बात का करता हूँ कि किसी ने भी यह नहीं कहा कि मौजमस्ती के लिए करता हूँ या सुख शांति के लिए करता हूँ…
जीवन में हमारा उद्देश्य क्या है ?
सुख शांति हो…तो योग का मतलब ही है शांति। फिर कहाँ ढूंढ रहे हैं बाहर…योग कहता है कि तुम अंदर देखो। मुझे मालुम है कि बाहर मिलने वाला नहीं है फिर भी हम हमेशा उसे बाहर देखते हैं। पत्नी को खुश रखे, पति को खुश रखे, बच्चे खुश रखे..एक दूसरे को खुश रखे..बड़ों को खुश रखेे। परेशान होकर भी दूसरे के लिए यह सब चलता रहता है।
योगाचार्य (Yogacharya) ने कहा योग कहता है कि तू परेशान है तो अपने अंदर झाँक। जो सेल्फ रिएलाइजेशन है उसको देख..हम हमेशा दूसरों की बात करते हैं और जब तक हम दूसरों की बात करेंगे तब तक परेशान रहेंगे।
नई जेनरेशन के युवक अक्सर उद्वेलित दिखते हैं, क्या कारण लगता है आपको?
अभी जो नया जेनरेशन भाग रहा है, दूसरे को देख देख कर। खुद को देख ही नहीं रहा है, मेरे पास क्या है उसको नहीं देख रहा है…दूसरे के पास क्या है उसमें उसका ध्यान है। तो जब तक दूसरे को देखेगा तब तक परेशान रहेगा। लेकिन अगर वह साधना करेगा तो दूसरे को देखते हुए भी मस्त रह सकता है। दूसरे के पास जो है यह उसका नसीब है। मेरे पास जो है वह कम नहीं हैं, यह भावना अंदर से आनी चाहिए।
कोई चिन्तित बैठा है उसको कह रहे है कि तू मस्त रहा कर, चिन्ता मत किया कर…वह कहता है आई नो वेरीवेल…जो चिन्ता कर रहा है उसको पता है चिन्ता क्या होती है। बोलने वाला भी साइड में आकर चिन्ता ही करने वाला है। उसका कहा हुआ ठीक है पर खुद प्रेक्टिस करता नहीं हैं तो कहने से पहले में खुद फोलो करूँ तब तो उसका इफेक्ट आएगा। तो योग कहता है तू पहले फोलो कर, बाद में बात कर।
बात को समाप्त करते हुए योगाचार्यजी (Yogacharya ) ने कहा ‘योग एक दिव्य मार्ग है जो उच्च चेतना और आत्म-साक्षात्कार से मिलता है। शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने और सुख-शंति से अपना जीवन जीने के लिए सबसे अच्छा तरीका हैं।’
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