योगी कैबिनेट की पहली बैठक आज, हो सकता है किसानों पर अहम फैसला

लखनऊ, 04 मार्च (जनसमा)। उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ योगी सरकार मंगलवार को अपनी पहली कैबिनेट बैठक करने जा रही है। माना जा रहा है कि कैबिनेट बैठक में छोटे किसानों के कर्ज माफ करने समेत कुछ अहम फैसले लिए जा सकते हैं। दरअसल बीजेपी ने चुनाव के दौरान यूपी के अपने संकल्प पत्र में किसानों के कर्ज माफ करने का वादा किया था। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हर चुनावी रैली में वादा किया था कि यूपी में बीजेपी सरकार आई तो पहली कैबिनेट बैठक में कर्ज माफ करने का फैसला लिया जाएगा।

हालांकि प्रधानमंत्री के इस वादे को विपक्षी दल एक और जुमला करार दे रहे हैं लेकिन केन्द्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के सामने चुनौती इस वादे को पूरा करने से सरकारी खजाने पर पढ़ने वाले बोझ को संभालने की है। साथ ही उत्तर प्रदेश के किसानों से किए वादे के बाद देश के अन्य राज्य जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब अपने किसानों का कर्ज माफ करने के लिए केन्द्र से गुहार लगा रहे हैं।

योगी कैबिनेट की पहली बैठक सरकार बनने के 16 दिन बाद होने जा रही है और इस देरी के लिए कर्ज की माफी के चुनावी वादे को जिम्मेदार माना जा रहा है। यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही का कहना है कि राज्य में किसानों की कर्जमाफी को लेकर तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। शाही के मुताबिक बीजेपी के संकल्प पत्र में ये बड़ा मुद्दा है और किसानों से जुड़ी जो बाते इस संकल्प पत्र में हैं उसे राज्य सरकार लागू करेगी। गौरतलब है कि राज्य सरकार के पास किसानों का कर्ज माफ करने के लिए फिलहाल 2-3 विकल्प हैं और मंगलवार को होने वाली पहली कैबिनेट में इन विकल्पों के आधार पर फैसला लिया जाएगा।

पहली कैबिनेट बैठक में कर्जमाफी के अलावा ऐंटी रोमियो स्क्वॉड, बूचड़खानों पर नियमों को मंजूरी, गेहूं की खरीद और गाजीपुर में स्टेडियम निर्माण को लेकर फैसले लिए जा सकते हैं। माना जा रहा है कि योगी सरकार को सबसे ज्यादा मशक्कत किसानों के कर्ज माफ करने के फॉर्म्युले लेकर करनी पड़ी है। अधिकारियों के मुताबिक यूपी में इस वक्त करीब 2 करोड़ 30 लाख किसान हैं। लघु और सीमांत किसानों की संख्या 2.15 करोड़ है। प्राकृतिक आपदाओं जैसी वजहों से ये किसान करीब 62 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाने में असमर्थ हैं। सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद प्रदेश सरकार पर पहले से ही करीब 25 हजार करोड़ रुपये सालाना का बोझ है।

उत्तर प्रदेश में 2014 तक किसानों का लगभग 75,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसमें महज 8,000 करोड़ रुपये का कर्ज सहकारी बैंक और समितियों द्वारा दिया गया है और बाकी कर्ज राष्ट्रीय बैंकों द्वारा दिया गया है। वहीं राज्य की सत्ता से बाहर जा रही समाजवादी पार्टी राज्य के खजाने से 2012 तक के 50,000 रुपये के किसान कर्ज को माफ कर चुकी है। इस फैसले से राज्य की सरकार पर प्रति वर्ष 1,650 करोड़ का बोझ पड़ता है।

(फाइल फोटो)