Yuva Ekal or Solo Kathak Dance Performance at Jawahar Kala Kendra, Jaipur

जयपुर के जवाहर कला केंद्र में ‘युवा एकल’ यानी सोलो कथक नृत्य प्रदर्शन

प्रेरणा श्रीमाली कथक  केंद्र ‘कलावृत्त’ की ओर  से जयपुर के जवाहर कला केंद्र में 20  जुलाई को ‘युवा एकल’ यानी सोलो नृत्य प्रदर्शन का आयोजन किया जारहा है। इस में युवा नर्तक शुभम पाल सिंह अपना कथक  नृत्य प्रस्तुत करेंगे।

देश की जानीमानी कथक  नृत्यांगना और वरिष्ठ नृत्य गुरु प्रेरणा श्रीमाली के निर्देशन में आयोजित होने वाले इस शास्त्रीय कथक  नृत्य आयोजन  की विशेषता  यह है कि  युवा कलाकार अपनी नृत्य  प्रस्तुति डेढ़ घंटे तक देंगे जिससे दर्शकों को कथक  नृत्य की बारीकियों को समझने का शानदार अवसर मिलेगा।

अपने नृत्य आयोजन पर प्रकाश डालते हुए गुरु प्रेरणा श्रीमाली ने कहा कि मैं युवा नर्तकों [40 वर्ष से कम] की एक इंटरैक्टिव एकल नृत्य प्रदर्शन श्रृंखला का प्रस्ताव कर रही  हूँ। यह केवल एक प्रदर्शन श्रृंखला नहीं होगी, बल्कि इस श्रृंखला में नर्तक इस विधा के वरिष्ठ कलाकारों का सामना करेंगे और उनके साथ एक तरह का संवाद करेंगे और वरिष्ठ कलाकार दर्शकों के सामने अपने सुझाव और प्रतिक्रियाएँ खुलकर रखेंगे। ऐसा भारत में कहीं नहीं हो रहा है। मुझे लगता है कि हमारी महान कलाओं को संरक्षित करने के लिए यह समय की मांग है।

गुरु प्रेरणा श्रीमाली का कहना है कि शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन का वर्तमान परिदृश्य थोड़ा चिंताजनक है। यह याद  रखा जाना चाहिए कि कथक की परम्परा ‘सोलो’ नृत्य प्रस्तुति की रही है और उसमें महारथ हासिल किए  बिना कोई कलाकार प्रामाणिक नृत्यकार या नर्तक नहीं  माना जा सकता है।  अब से कुछ सालो पहले तक कथक   प्रस्तुति का समय लगभग एक से डेढ़ से दो घंटा तक  होता था किन्तु अब 15 या 20  मिनट में नृत्य संपन्न कर दिया जाता है,  परिणामस्वरुप शास्त्रीय रूप को गहराई से नहीं समझा जा सकता।

श्रीमाली का कहना है कि भारत में पूर्ण विकसित 8 शास्त्रीय नृत्य रूप हैं। कथकली और मणिपुरी के अलावा सभी एकल रूप हैं। हमारे पास एक ऐसा इतिहास है जब सिर्फ एक नर्तक विदेश जाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करता था, लेकिन अब परिदृश्य कुछ उलट हो गया है। हर चीज एक समूह गतिविधि बनती जा रही है।

उन्होंने कहा कि कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, मोहिनीअट्टम, कुचिपुड़ी सभी अधिकांश समय समूह में प्रस्तुति दे रहे हैं। एकल नृत्य प्रस्तुत करने के मंच तेजी से लुप्त हो रहे हैं। एकल प्रदर्शन की भव्यता और सुंदरता पहले की तरह कम होती जा रही है। समूह किसी भी नृत्य शैली की एक और अभिव्यक्ति हो सकता है लेकिन प्राथमिक चेहरा नहीं।

गुरु श्रीमाली ने कहा कि एक कलाकार के रूप में और युवा छात्रों को प्रशिक्षण देने के अपने अनुभव के साथ मुझे उनके बीच इस बात की निराशा मिली कि उनके पास अपने स्वयं के आभासी मंच के अलावा अपनी कला दिखाने के लिए कोई जगह नहीं है।